• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • Global Warming: उम्मीद से कई गुना तेजी से पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ, खतरे में दुनिया!

Global Warming: उम्मीद से कई गुना तेजी से पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ, खतरे में दुनिया!

स्टडी में पता लगाया गया है कि ग्लेशियर्स के पतले होने और बर्फ की सिल्लियों का टूटने से 1997 के बाद से अंटार्कटिका की बर्फ की सिल्लियों के मास में 12 ट्रिलियन टन की कमी आई है, जो पिछले अनुमान से दोगुना है।

Global Warming: उम्मीद से कई गुना तेजी से पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ, खतरे में दुनिया!

स्टडी के प्रमुख लेखक जेपीएल वैज्ञानिक चैड ग्रीन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम बहुत भयावय हो सकते हैं

ख़ास बातें
  • तेजी से बर्फ के पिघलने के सिलसिले ने पिछले 25 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा
  • ग्लोबल वार्मिंग से तेजी से बढ़ रहा है समुद्र स्तर
  • अंटार्कटिका में दुनिया की कुल बर्फ की समुद्र तल क्षमता का 88% हिस्सा है
विज्ञापन
जलवायु परिवर्तन (Climate Change), इन दो शब्दों से पूरी दुनिया डरी हुई है और अब, दुनिया भर की सरकारों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। क्लाइमेट चेंज या ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि विशाल ग्लेशियर्स का गढ़ अंटार्कटिका (Antarctica) उम्मीद से ज्यादा तेजी से पिघल रहा है। एक लेटेस्ट रिपोर्ट से पता चला है कि अंटार्कटिका के तटीय ग्लेशियर्स हिमखंडों (आइसबर्ग) को तेजी से बहा रहे हैं।

समाचार एजेंसी Reuters के अनुसार, बुधवार को एक सैटेलाइट विश्लेषण से पता चला है कि तेजी से बर्फ के पिघलने के सिलसिले ने पिछले 25 सालों में दुनिया की सबसे बड़ी बर्फ की चादर के पिघलने से होने वाले नुकसान के पिछले अनुमानों को दोगुना कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, NASA की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के रिसर्चर्स के नेतृत्व में अपनी तरह की एक पहली स्टडी में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन कितनी तेजी से अंटार्कटिका की तैरती बर्फ की विशाल सिल्लियों को कमजोर कर रहा है और समुद्र स्तर में जबरदस्त बढ़ोतरी कर रहा है।

स्टडी में पता लगाया गया है कि ग्लेशियर्स के पतले होने और बर्फ की सिल्लियों का टूटने से 1997 के बाद से अंटार्कटिका की बर्फ की सिल्लियों के मास में 12 ट्रिलियन टन की कमी आई है, जो पिछले अनुमान से दोगुना है।

स्टडी के प्रमुख लेखक जेपीएल वैज्ञानिक चैड ग्रीन (Chad Greene) के अनुसार, पिछली तिमाही-शताब्दी में सिल्लियों के टूट कर अलग होने से महाद्वीप की बर्फ की चादर का नुकसान लगभग 37,000 वर्ग किमी (14,300 वर्ग मील) है, जो लगभग स्विट्जरलैंड के साइज का क्षेत्र है।

ग्रीन ने नासा के निष्कर्षों की घोषणा में कहा, "अंटार्कटिका अपने किनारों पर उखड़ रही है," "और जब बर्फ की सिल्लियां घटती और कमजोर होती हैं, तो महाद्वीप के विशाल ग्लेशियर तेजी से बढ़ते हैं और वैश्विक समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर में बढ़ोतरी करते हैं।"

परिणाम बहुत भयावय हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अंटार्कटिका में दुनिया की सभी बर्फ की समुद्र तल क्षमता का 88 प्रतिशत हिस्सा है।

बर्फ की सिल्लियां, जो जमी हुई मीठे पानी की स्थायी तैरती चादरें होती हैं और जमीन से जुड़ी होती हैं, इनके बनने में हजारों साल लगते हैं, जो ग्लेशियर्स को रोक कर रखते हैं, अन्यथा ये आसानी से समुद्र में गिर जाएंगे, जिससे समुद्र ऊपर उठ जाएगा।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ईमेल करते हैं, तो कोई इंसान जवाब ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Honor Power 2 में मिल सकता है MediaTek Dimensity 8500 चिपसेट, Geekbench पर हुई लिस्टिंग
  2. Ola Electric को बड़ी राहत, सरकार से मिला 367 करोड़ रुपये का इंसेंटिव
  3. Apple ने चुपचाप बंद किए 25 iPhones, iPads, स्मार्टवॉच और एयरपॉड्स, यहां देखें फुल लिस्ट
  4. Gmail यूजर्स हो जाओ खुश! मिलेगा मनचाहा @gmail.com एड्रेस, आ रहा सबसे बड़ा अपडेट
  5. शनि के चंद्रमा पर जीवन की बड़ी संभावना! इस खोज ने जगाई उम्मीद
  6. Poco M8 5G जल्द होगा भारत में लॉन्च, 50 मेगापिक्सल का AI कैमरा
  7. Flipkart की साल की आखिरी सेल, स्मार्टफोन से लेकर स्मार्टटीवी पर बंपर डिस्काउंट, देखें बेस्ट डील
  8. Samsung की भारत में स्मार्टफोन के डिस्प्ले बनाने की तैयारी
  9. Year Ender 2025: AI समरी, मैसेज ट्रांसलेशन से लेकर WhatsApp ने इस साल लॉन्च किए ये गजब फीचर्स
  10. चीन के साथ चांद पर न्युक्लियर प्लांट बनाएगा रूस! अमेरिका भी दौड़ में, जानें क्यों लगी है रेस
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »