इस साल फरवरी में मंगल ग्रह पर लैंड करने के बाद नासा का पर्सवेरेंस Perseverance मार्स रोवर हमें कई खोजों के बारे में बताता आया है। जेज़ेरो क्रेटर Jezero Crater के चारों ओर लगभग 10 महीनों तक ड्राइविंग के बाद रिसर्चर्स ने यह समझना शुरू कर दिया है कि यह क्षेत्र संभवतः लंबे समय से निष्क्रिय मार्टियन ज्वालामुखी से बना है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से ग्रह के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। एक रिपोर्ट में नासा ने खुलासा किया कि क्रेटर चट्टानों ने अपनी उत्पत्ति के बाद से कई बार पानी से इंटरेक्ट किया है। इन चट्टानों में कुछ ऑर्गनिक मॉलिक्यूल्स भी मौजूद हैं।
नासा की रिसर्च टीम ने पर्सवेरेंस के मंगल ग्रह पर उतरने से पहले ही इन चट्टानों की उत्पत्ति के बारे में सोचा था। वैज्ञानिक अनुमान लगाते आए हैं कि चट्टानों का नेचर या तो सेडमेन्टरी (तलछटी) था या इग्नीअस (आग्नेय)। अब वह अपने जवाब के करीब पहुंच गए हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट के जरिए यह घोषणा की। इस पोस्ट में लिखा था, मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर का बेस, NASA पर्सवेर लगभग 10 महीनों तक इसमें चलता रहा है। ऐसा लगता है कि यह लाल-गर्म मैग्मा से बना है- संभवतः एक लंबे समय से निष्क्रिय मार्टियन ज्वालामुखी से।
पर्सवेरेंस प्रोजेक्ट साइंटिस्ट केन फार्ले ने
कहा कि मुझे लगने लगा था कि हमें इसका जवाब कभी नहीं मिलेगा। फिर हमारे PIXL उपकरण की नजर 'साउथ सीताह' क्षेत्र में एक चट्टान के टूटे हुए पैच पर पड़ी और सब स्पष्ट हो गया।
पर्सवेरेंस रोवर की रोबोटिक आर्म में ड्रिल मशीन फिट है। यह चट्टान की सतह पर कुछ इंच तक ड्रिल करती है। ड्रिल की गई चट्टान की संरचना को मैप करने के लिए रोबोट का प्लैनेटरी इंस्ट्रूमेंट, एक्स-रे लिथोकैमिस्ट्री (PIXL) के लिए एक्स-रे फ्लोरोसेंस का इस्तेमाल करता है।
पिछले महीने रोवर को साउथ सीताह रीजन में एक चट्टान से कोर सैंपल मिला। PIXL डेटा से पता चला है कि चट्टान में ओलिवाइन क्रिस्टल की बहुत ज्यादा मात्रा थी।
फार्ले कहते हैं कि इस तरह के क्रिस्टल जब धीरे-धीरे ठंडे होने वाले मैग्मा में बस जाते हैं, तब इस तरह की चट्टान बनती है। वैज्ञानिकों को अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि चट्टानों का निर्माण लावा की सतह ठंडा होने से हुआ या उसके बाद हुई प्रक्रिया से यह चट्टान बनीं।