रहस्यों से भरा ब्रह्मांड वैज्ञानिकों को हर रोज कुछ ना कुछ जानने के लिए प्रेरित करता है। अब प्लूटो ग्रह को लेकर नासा ने नई जानकारी है। नासा के न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान से मिला डेटा बताता है कि यह ठंडा ग्रह पहले से ज्यादा गतिशील है। यहां गुंबद के आकार वाले बर्फ के ज्वालामुखी हैं, जो अभी भी एक्टिव हो सकते हैं। मंगलवार को वैज्ञानिकों ने कहा कि 10 से ज्यादा क्रायोवोल्कैनो एक किलोमीटर से लेकर 7 किलोमीटर के एरिया में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जैसे पृथ्वी के ज्वालामुखियों से गैसें और पिघली हुई चट्टानों का लावा निकलता है, उसी तरह से ये क्रायोवोल्कैनो बड़ी मात्रा में बर्फ निकालते हैं। इसमें जमे हुए पानी के साथ-साथ कुछ और भी हो सकता है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित
अध्ययन के प्रमुख लेखक और कोलोराडो में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्लेनेटरी साइंटिस्ट केल्सी सिंगर ने कहा, इन फीचर्स को खोजने से यह संकेत मिलता है कि प्लूटो अधिक सक्रिय या भूगर्भीय रूप से जीवित है। यहां बर्फ होने की संभावना आश्चर्यजनक है।
गौरतलब है कि प्लूटो ग्रह का आकार पृथ्वी के चंद्रमा से भी छोटा है। इसका व्यास लगभग 1,400 मील (2,380 किमी) है। यह सूर्य से लगभग 3.6 बिलियन मील (5.8 बिलियन किलोमीटर) की दूरी पर उसकी परिक्रमा करता है, जो पृथ्वी की कक्षा से लगभग 40 गुना अधिक दूर है। प्लूटो ग्रह के सतह में मैदान के साथ ही पहाड़ भी हैं।
वैज्ञानिकों ने न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान से साल 2015 में मिलीं इमेज और डेटा का विश्लेषण किया। इसके बाद यह जानकारी सामने आई है। न्यू होराइजन्स के प्रिंसिपल एडवाइजर और स्टडी के को-ऑथर एलन स्टर्न ने कहा कि स्टडी में न सिर्फ क्रायोवोल्केनिज्म के व्यापक सबूत मिले हैं, बल्कि यह भी सामने आया है कि यह लंबे समय से है।
रिसर्चर्स ने स्पूतनिक प्लैनिटिया के दक्षिण-पश्चिम इलाके का विश्लेषण किया। पता चला कि प्लूटो का बेसिन नाइट्रोजन बर्फ से भरा हुआ है। पृथ्वी और हमारे सौर मंडल के अन्य ग्रहों की तरह प्लूटो लगभग 4.5 अरब साल पहले बना था। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि ये क्रायोवोल्कैनो कुछ मिलियन वर्ष पहले ही बने हैं। उनका कहना है कि संभवत: क्रायोवोल्कैनो के निर्माण की प्रक्रिया वर्तमान में भी चल रही है।