हम रोजाना ऐसी खबरों से रू-ब-रू होते हैं कि कोई एस्टरॉयड, पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है। जो भी एस्टरॉयड पृथ्वी के नजदीक से गुजरता है, उसके हमारे ग्रह से टकराने की संभावना होती है। भविष्य में ऐसी किसी भी मुसीबत से बचने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) इस महीने एक बड़ा परीक्षण करने जा रही है। लगभग 9 महीने तक अंतरिक्ष के वैक्यूम में यात्रा करने के बाद ‘डबल एस्टरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट' (DART) मिशन अपना असर दिखाने के लिए तैयार है। नासा का यह स्पेसक्राफ्ट एक ऐसी तकनीक की टेस्टिंग करने के मिशन पर निकला है, जिसका इस्तेमाल भविष्य में पृथ्वी की ओर आने वाले एस्टरॉयड को विक्षेपित करने के लिए किया जा सकता है, यानी उसकी दिशा को बदला जा सकता है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी
नासा के अनुसार, 26 सितंबर को DART स्पेसक्राफ्ट जानबूझकर डिमोर्फोस में दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा। डिमोर्फोस एक छोटा एस्टरॉयड सैटेलाइट है जिसे साल 2003 में खोजा गया था। यह एस्टरॉयड डिडिमोस का एक चंद्रमा है। डिमोर्फोस से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस पर गतिज प्रभाव तकनीक (kinetic impact technique) का परीक्षण दुनिया में पहली बार किया जा रहा है। इसके तहत स्पेसक्राफ्ट को एस्टरॉयड से टकराकर एस्टरॉयड को विक्षेपित किया जाएगा, ताकि पृथ्वी को सुरक्षित किया जा सके।
नासा काफी मेहनत के बाद इस मुकाम तक पहुंची है। शुरुआत में वैज्ञानिक इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि क्या वह इस मिशन में डिमोर्फोस को कभी ढूंढ भी पाएंगे। लेकिन DART स्पेसक्राफ्ट में लगाए गए कैमरे और नेविगेशन तकनीक से इस एस्टरॉयड को खोज लिया गया। स्पेसक्राफ्ट ने अब अपनी मंजिल को देख लिया है। नासा ने 26 सितंबर को एस्टरॉयड से जानबूझकर टक्कर करने का फैसला किया है। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा। मिशन का मकसद दुनिया की पहली गतिज प्रभाव तकनीक का परीक्षण करना है।
इस एस्टरॉयड को खोजने के लिए जुलाई में स्पेसक्राफ्ट ने डिडिमोस रीकानिसन्स और एस्टरॉयड कैमरा फॉर ऑप्टिकल नेविगेशन (DRACO) का इस्तेमाल किया। इसने 243 इमेज खींचकर एस्टरॉयड की लोकेशन का पता लगाने में मदद की। उस समय स्पेसक्राफ्ट, डिडिमोस सिस्टम से 20 मिलियन मील दूर था। यह एक टेस्ट सफल होता है, तो भविष्य के लिए वैज्ञानिकों को एक नई तकनीक मिल जाएगी और किसी एस्टरॉयड से पृथ्वी को खतरा होने की स्थिति में उस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकेगा।