मोबाइल टेक्नोलॉजी जल्द ही गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक मोबाइल ऐप की मदद से काफी समय पहले ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकेगा कि कोई गर्भवती महिला अपनी प्रेग्नेंसी की अंतिम स्टेज में डिप्रेशन में जा सकती है या नहीं। शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक सर्वे का सहारा लिया है। जिसके अंतगर्त महिलाओं से कुछ सवाल पूछे गए। फिर विश्लेषण के आधार पर नतीजे निकाले गए।
गर्भवती महिलाओं में
डिप्रेशन की समस्या अक्सर देखने में आती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में बड़े रसायनिक परिवर्तन आते हैं जिसमें हॉर्मॉन्स का भी बड़ा योगदान होता है।
PTI के अनुसार, अब एक मोबाइल ऐप के माध्यम से पहले ही पता लगाया जा सकेगा कि कोई महिला प्रेग्नेंसी के अंतिम दिनों में डिप्रेशन में जा सकती है या नहीं। शोधकर्ताओं ने इसके लिए गर्भवती महिलाओं को एक सर्वे में शामिल किया।
सर्वे में उन महिलाओं को शामिल किया गया जो प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में थीं। इसे फर्स्ट ट्रिमेस्टर (first trimester) पीरियड भी कह दिया जाता है। यह प्रेग्नेंसी के पहले ही शुरू हो जाता है जब गर्भधारण से पूर्व मेंस्रुएल साइकिल का आखिरी दिन होता है। यानि कि यह फेज असल में महिला के प्रेग्नेंट होने से भी पहले से ही शुरू हो जाता है। शोधकर्ताओं ने सर्वे में प्रेग्नेंसी से जुड़े कई तरह के जोखिमों का जिक्र किया जिसमें नींद की गुणवत्ता, खाने को लेकर असुरक्षा जैसे कारक शामिल हैं। ये बाद में जाकर डिप्रेशन का कारण बनते हैं।
अमेरिका में University of Pittsburgh में शोध के प्रमुख लेखक तामर कृष्णमूर्ति का इस रिसर्च के माध्यम से मानना है कि, लोगों से कुछ सवाल करके यह पता लगाया जा सकता है कि उनमें डिप्रेशन आएगा या नहीं। ऑथर का कहना है कि महिला की नींद की क्वालिटी, लेबर पेन, और डिलीवरी को लेकर उसके मन में उठने वाली चिंताएं, खाने को लेकर उसके मन में असुरक्षा जैसे भावों के कारण डिप्रेशन आ सकता है।
लेकिन अगर मोबाइल ऐप के माध्यम से यह पहले ही से ही पता लग जाए कि महिला बाद की स्टेज में डिप्रेशन में जा सकती है तो ऐसे में इसे पहले से ही रोके जाने के उपाय किए जा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के लिए 944 महिलाओं को लेकर सर्वे किया जिन्होंने इस मोबाइल का ऐप का इस्तेमाल किया। इन महिलाओं के साथ डिप्रेशन संबंधित पुराना इतिहास नहीं था। शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए इस मॉडल की सटीकता 93 प्रतिशत पाई गई।