स्पेस में ऑक्सीजन बनाने के लिए चुम्बक का हो सकता है इस्तेमाल- रिसर्च

कोलोराडो के प्रोफेसर हैंसपीटर सचुआब ने कहा कि सालों की शोध के बाद हम इस मेकेनिज्म को इस्तेमाल कर पाए हैं, जिससे हम जीरो ग्रेविटी में भी ऑक्सीजन को पानी से अलग कर सकते हैं।

विज्ञापन
हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 20 अगस्त 2022 18:37 IST
ख़ास बातें
  • जीरो ग्रेविटी में भी ऑक्सीजन को पानी से अलग किया जा सकता है
  • इस रिसर्च से वैज्ञानिक और इंजीनियर ऑक्सीजन सिस्टम बना सकेंगे
  • मंगल जैसे मिशनों के लिए खत्म हो सकेगी बड़ी समस्या

शोधकर्ताओं ने स्पेस में चुम्बक की मदद से पानी में से ऑक्सीजन अलग करने की बात कही है

आपने अंतरिक्ष में बने स्पेस स्टेशन की तस्वीरों या वीडियो में अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन के अंदर स्पेस सूट में तैरते हुए जरूर देखा होगा। इनके पीछे एक ऑक्सीजन देने वाला सिलेंडर भी बंधा रहता है। लेकिन अगर इनके पास ऊपर अंतरिक्ष ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म हो जाए तो क्या होगा?  कहा जाता है कि अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में सांस लेने योग्य हवा उपलब्ध करवाना बहुत महंगा पड़ता है। अब, जब आदमी चांद और मंगल पर मिशन और भी तेज करने जा रहा है तो वहां पर ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए कोई न कोई तकनीक अवश्य खोजनी होगी।

इसी दिशा में साइंटिस्ट्स की एक इंटरनेशनल टीम ने ऑक्सीजन बनाने का मेकेनिज्म तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण रिसर्च की है। इन्होंने चुम्बकीय मेकेनिज्म की मदद से ऑक्सीजन बनाने की बात कही है। अगर यह तकनीक काम कर जाती है तो स्पेस में ऑक्सीजन पैदा करना बहुत आसान हो जाएगा। 

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बाउल्डर से पीएचडी ग्रेजुएट अलवारो रोमियो कालवो ने कहा कि इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में ऑक्सीजन इलेक्ट्रोलाइट सेल की मदद से बनाई जाती है। यह पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ देता है। लेकिन उसके बाद इन गैसों को सिस्टम से बाहर लाना होता है। नासा के एक शोधकर्ता ने हाल ही में एक स्टडी में कहा है कि मंगल जैसे ग्रह पर इस तकनीक को लेकर जाना भरोसेलायक नहीं है। 

दूसरे ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण ऑक्सीजन को अलग निकाल लेना बहुत मुश्किल होता है। धरती पर जब यह प्रक्रिया होती है तो कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले जल्दी से सोडे के ग्लास के ऊपर निकल आते हैं। लेकिन स्पेस जैसी जगह में, बिना ग्रेविटी के ये बुलबुले कहां जाएंगे? ऊपर आने की बजाए वह लिक्विड में ही फंसे रह जाते हैं। 

वर्तमान में नासा ऑक्सीजन को अलग करने के लिए सेंट्रीफ्यूग प्रोसेस का इस्तेमाल करता है, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ज्यादा मास, ऊर्जा और मेंटेनेंस मांगती है। इस बीच शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया है जिसमें चुम्बक भी यही कार्य कर सकती है। 
Advertisement

टीम ने गैस के बुलबुलों को अलग करने के लिए एक मेकेनिज्म तैयार किया है। स्टडी में पहली बार ये दिखाया गया है कि गैस के बुलबुले को माइक्रोग्रैविटी में एक साधारण नियोडिमियम चुंबक से आकर्षित किया जा सकता है और उन्हें विभिन्न प्रकार के पानी के घोल में डुबोया जा सकता है।

कोलोराडो के प्रोफेसर हैंसपीटर सचुआब ने कहा कि सालों की शोध के बाद हम इस मेकेनिज्म को इस्तेमाल कर पाए हैं, जिससे हम जीरो ग्रेविटी में भी ऑक्सीजन को पानी से अलग कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से वैज्ञानिक और इंजीनियर ऑक्सीजन सिस्टम बना सकने में कामयाब हो सकते हैं और साथ ही स्पेस से जुड़ी अन्य रिसर्च में भी यह काम आ सकता है। 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. BSNL की फ्लैश सेल में सिर्फ 1 रुपये में मिलेगा 1 GB डेटा
#ताज़ा ख़बरें
  1. Samsung के Galaxy Z Fold 7, Z Flip 7 के साथ पेश हो सकता है ट्रिपल-फोल्ड स्मार्टफोन
  2. BSNL की फ्लैश सेल में सिर्फ 1 रुपये में मिलेगा 1 GB डेटा
  3. Infinix ने लॉन्च किया Hot 60i, MediaTek Helio G81 Ultimate चिपसेट
  4. Tata Motors ने लॉन्च किया Harrier EV का Stealth Edition, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  5. Honor के Magic V5 में होगा 64 मेगापिक्सल पेरिस्कोप टेलीफोटो कैमरा, 2 जुलाई को लॉन्च
  6. iQOO Z10 Lite 5G vs Samsung Galaxy A06 5G vs Moto G45: 10 हजार में कौन सा है बेस्ट फोन
  7. बोलकर कैंसल हो जाएगा ट्रेन टिकट, जानें कैसे काम करता है IRCTC का नया फीचर
  8. POCO के F7 5G की 1 जुलाई से शुरू होगी बिक्री, Flipkart पर लाइव हुई माइक्रोसाइट
  9. UBON SP-85 Party Speaker भारत में लॉन्च, 30W साउंड, 20 घंटे की बैटरी, जानें कीमत
  10. टेक्नोलॉजी की दुनिया से आपके लिए आज की 5 महत्वपूर्ण खबरें
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.