जापान सफलतापूर्वक चांद पर कदम रखने में कामयाब हो गया है। जापान के स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) व्हीकल ने शनिवार को मध्य रात्रि में चांद की सतह पर लैंड किया। लेकिन क्राफ्ट में कुछ तकनीकी खराबी आने के कारण अभी यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यह अपने सभी मकसद वहां पर पूरे कर पाएगा या नहीं। क्योंकि जिस खराबी की बात यहां की गई है, वह इसके सोलर पावर इस्तेमाल करने से जुड़ी है। ऐसे में अगर लैंडर सोलर पावर का इस्तेमाल नहीं कर पाता है तो मिशन के लक्ष्य पूरा होने में अड़चन पैदा होगी।
जापान का चांद पर सफलतापूर्वक कदम रखना इसे अब दुनिया का पांचवा देश बना देता है जो चांद पर पहुंचने में कामयाब हुए हैं। इससे पहले अमेरिका, रूस, चीन, और
भारत ने चांद पर कदम रखने में सफलता पाई है।
Reuters के मुताबिक, देश की अंतरिक्ष एजेंसी जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (
JAXA) की ओर से एक अधिकारी ने कहा है कि लैंडर सतह पर उतरने में कामयाब हो गया है, लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है कि यह अपने टारगेट साइट से 100 मीटर के दायरे के भीतर उतरा है या नहीं।
जापानी स्पेस एजेंसी के प्रेसिडेंट हिरोशी यामानाका ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्हें लगता है वे सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब हो गए हैं। वहां से लगातार डेटा धरती पर भेजा जा रहा है, जिसका मतलब है कि सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता मिल गई है। लेकिन यहां एक समस्या खड़ी हो गई है। अधिकारियों ने कहा है कि लैंडर पर लगे सोलर पैनल बिजली पैदा नहीं कर पा रहे हैं, और लैंडर अभी उस पर लगी बैटरी से ही चल रहा है। यह बैटरी केवल कुछ घंटों तक ही चल सकती है।
ऐसे में लैंडर का मिशन खटाई में पड़ सकता है क्योंकि वहां गतिविधि करने के लिए बिजली की आवश्यकता होगी। अधिकारियों ने कहा है कि वे उपलब्ध बैटरी के अनुसार ही वहां पर ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश करेंगे। लेकिन साथ में ये भी कहा कि बैटरी खत्म होना मिशन का खत्म होना नहीं है। अधिकारी मान रहे हैं कि लैंडिंग के दौरान सोलर पैनल खराब नहीं हुए हैं। जब सूर्य कुछ हफ्तों में अपना एंगल बदलेगा तो पैनल बिजली पैदा करना शुरू कर सकते हैं, और मिशन में आगे बढ़ा जा सकता है। बहरहाल, जापान चांद पर कदम रखने में कामयाब हो गया है, लेकिन मिशन पर सवालिया निशान लग गया है। ऐसे में देखना होगा कि जापान अपनी इस कोशिश में कहां तक सफल हो पाता है।