Chandrayaan-3 मिशन ने दुनियाभर में भारत और हमारी स्पेस एजेंसी
इसरो (ISRO) को पॉपुलैरिटी दिलाई है। अब इसरो ने ऐसा कुछ किया है, जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल यानी पीएम (PM) जो अबतक चांद का चक्कर लगा रहा था, इसरो ने उसे वापस पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया है। इसका सीधा मतलब है कि भविष्य में इसरो अपने स्पेसक्राफ्ट्स को भी पृथ्वी पर वापस ला सकता है। ऐसा लगता है कि इसरो को भी अंदाजा नहीं था कि उसे ऐसा कुछ करना होगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल को क्यों पृथ्वी की कक्षा में लाया गया और अब यह क्या करेगा, आइए जानते हैं।
पीटीआई और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल को लेकर इसरो यह मान रही थी कि वह 3 महीने काम करेगा। लेकिन अभी इसमें इतना ईंधन बाकी है कि यह कई साल काम कर सकता है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का शुरुआती काम चंद्रमा की अंतिम कक्षा में पहुंचकर लैंडर को अलग करना था। इसके बाद इसरो ने पीएम में लगे ‘स्पेक्ट्रो-पोलरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ' (SHAPE) को शुरू किया। अनुमान था कि यह 3 महीने चलेगा।
हालांकि चंद्रमा की कक्षा में काम करने के एक महीने से भी अधिक समय बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल में 100 किलो से ज्यादा ईंधन बचा रहा। इसरो का कहना है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल में बचे ईंधन का इस्तेमाल भविष्य के मून मिशन के लिए और जानकारी जुटाने के लिए किया जाएगा। ऐसे में इसे वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने का फैसला किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, इसी साल 9 अक्टूबर को प्रोपल्शन मॉड्यूल को उसकी कक्षा यानी ऑर्बिट बदलने की कमांड दी गई। जिस तरह वह पृथ्वी से चांद की ओर गया, उसी तरह चांद से पृथ्वी की ओर आने लगा। 22 नवंबर को आखिरी बार प्रोपल्शन मॉड्यूल का ऑर्बिट बदला गया। अब यह एक ऐसी कक्षा में है, जहां सेफ है और इसे किसी सैटेलाइट या अन्य चीजों से खतरा नहीं है।