पिछले कुछ वर्षों में हायपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। एक नई स्टडी में पाया गया है कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में हायपरटेंशन पर कम नियंत्रण होता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों में भी यह कंट्रोल कम होने के संकेत मिले हैं।
Lancet रीजनल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित
स्टडी में कहा गया है कि भारत में हायपरटेंशन के मरीजों में से लगभग 75 प्रतिशत का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं था। इसका मतलब है कि स्टडी में शामिल लोगों में से केवल एक-चौथाई का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हाई ब्लड प्रेशर कार्डियोवसक्युलर बीमारियों का एक बड़ा कारण होता है। इस वजह से इससे असामयिक मृत्यु और गंभीर बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है। स्टडी में शामिल रिसर्चर्स ने बताया, "भारत में हायपरटेंशन के मरीजों में से एक-चौथाई से कम का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में था। हालांकि, पिछले वर्षों की तुलना में कंट्रोल की इस दर में सुधार हुआ है। इसमें क्षेत्रों के अनुसार बड़े अंतर हैं।"
स्टडी में बताया गया है कि भारत को हायपरटेंशन को कंट्रोल करने की दर में सुधार के लिए लंबी अवधि की कम्युनिटी बेस्ड रणनीतियां और कार्यक्रम बनाने की जरूरत है। देश में हायपरटेंशन मृत्यु का एक बड़ा कारण है। हायपरटेंशन पर कंट्रोल की दर को बेहतर करने से कार्डियोवसक्युलर बीमारियों और मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। इस स्टडी में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और बोस्टन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के रिसर्चर्स शामिल थे। इस स्टडी में 2001 के बाद से उन 51 स्टडीज की समीक्षा की गई है जो भारत में हायपरटेंशन पर कंट्रोल की दरों के बारे में हुई थी।
इसमें रिसर्चर्स ने ऐसी स्टडीज पर अधिक ध्यान दिया है जिनमें कम्युनिटी के स्तर पर कंट्रोल की दरों की वास्तविक स्थिति दी गई थी। इसके साथ ही पिछले वर्षों में कंट्रोल की दरों में बदलाव की भी जांच की गई है। रिसर्चर्स का कहना है कि इस प्रकार की जांच इससे पहले नहीं हुई थी। देश में पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं बढ़ी हैं। हालांकि, जीवनशैली में बड़े
बदलाव के कारण हायपरटेंशन जैसी बीमारियां एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं।