एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर आर्कटिक की जलवायु के साथ इतनी असंतुलित है कि वह अब अपने वर्तमान आकार को बनाए नहीं रख सकती। अंदाजा लगाया गया है कि बर्फ की यह चादर अपना आकार 59 हजार वर्ग किलोमीटर तक कम कर देगी। यह एरिया ग्रीनलैंड के संरक्षित राज्य डेनमार्क से भी काफी बड़ा है। अगर आज सभी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन रोक दिया जाए, तब भी बर्फ के नुकसान की वर्तमान दर ग्रीनलैंड में इस बर्फीली चादर को कभी ना बेहतर होने वाला नुकसान पहुंचाएगी।
द कन्वर्सेशन के
अनुसार, मौजूदा तापमान के तहत ग्रीनलैंड में बर्फ के नुकसान से दुनियाभर में समुद्र का स्तर कम से कम 10.8 इंच बढ़ जाएगा। समुद्र के स्तर में यह बढ़ोतरी कथित तौर पर मौजूदा पूर्वानुमान मॉडल से अधिक बताई जाती है।
नई स्टडी कथित तौर पर समुद्र के लेवल में बढ़ोतरी का अनुमान लगाने के दृष्टिकोण को बदल देती है। कहा जाता है कि यह संख्यात्मक मॉडल के बजाए अवलोकन और हिमनद सिद्धांत (glaciological theory) पर आधारित है, जो ग्रीनलैंड की बर्फ के नुकसान को बढ़ाने वाली उभरती प्रक्रियाओं को कैप्चर करने में कथित रूप से अप्रभावी हैं।
उदाहरण के लिए, बायो-अल्बेडो डार्किंग को कथित तौर पर सतह के पिघलने के साथ-साथ सतह की बर्फ के पिघलने और फिर से जमने में तेजी लाने के लिए कहा जाता है। इस तरह के मामलों को कथित तौर पर संख्यात्मक मॉडल में शामिल नहीं किया जाता है। इसे सिर्फ बर्फ में सीधे ड्रिलिंग करके ही समझा जा सकता है।
ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर जमे हुए जलाशय हैं। यह 3 किमी से ज्यादा मोटे हैं दुनिया के समुद्र के स्तर को 7.4 मीटर तक बढ़ाने के लिए ताजे पानी को स्टोर करता है। रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा आर्कटिक जलवायु के साथ संतुलन को फिर से स्थापित करने में सक्षम होने से पहले ही ग्रीनलैंड अपनी बर्फ का कम से कम 3.3 फीसदी यानी 100 ट्रिलियन मीट्रिक टन से अधिक बर्फ खो देगा।