शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में हम सब जानते हैं। बल्कि कोरोना महामारी (COVID-19) का कहर झेलने के बाद लोग अब रोग प्रतिरोधक प्रणाली या इम्यून सिस्टम के बारे में पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला और पुरुष की रोग प्रतिरोधक क्षमता में अंतर भी होता है? मानव शरीर विज्ञान कहता है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है। पुरुष कई तरह के इंफेक्शन जैसे HIV, हिपेटाइटिस बी, प्लाज्मोडियम फाल्सिपेरम (मलेरिया फैलाने वाला जीवाणु) से जल्दी ग्रसित हो सकते हैं।
इसके उलट महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत माना जाता है। लेकिन इसका एक साइड इफेक्ट भी बताया गया है।
NDTV के अनुसार, महिलाओं में लम्बी या पुरानी बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। यानि क्रॉनिक डिसीज महिलाओं में होने के चांस ज्यादा बताए गए हैं। ये बीमारी इम्यून सिस्टम के कारण ही होती हैं जिन्हें इम्युन इनफ्लेमेटरी डिसीज कहा जाता है। लिंग के आधार इम्यून सिस्टम में भेद पाया जाता है। यह इसके रेस्पॉन्स, इम्यून कोशिकाओं की संख्या, इनका कितना एक्टिवेट होना जैसी चीजों पर मर्दों और औरतों में अलग अलग हो सकता है।
उम्र के साथ-साथ लिंग आधारित इम्यून सिस्टम में भी बदलाव देखे जा सकते हैं। इसका एक कारक क्रॉमोसोम को भी कहा गया है। महिलाओं में दो X क्रोमोसोम पाए जाते हैं, जबकि पुरुषों में एक X होता है और एक Y क्रोमोसोम होता है। X क्रोमोसोम में इम्यून संबंधी जीन सबसे ज्यादा पाई जाती हैं। दूसरा कारक है हॉर्मोन्स का लेवल। कुल मिलाकर कहा जाए तो महिलाओं में इम्यून रेस्पॉन्स ज्यादा देखा जाता है जिसका परिणाम ये होता है कि इसके कारण ही कुछ बीमारियां पैदा हो जाती हैं, दूसरा ये कि किसी इंफेक्शन के बाद इम्यून सिस्टम लम्बे समय तक एक्टिव रह सकता है। तब भी, जब शरीर में उसकी जरूरत न हो।
इसकी वजह से महिलाओं में
इम्यून रेस्पॉन्स की वजह से 75-80% बीमारियां होती हैं। इनमें स्क्लेरोसिस, रह्यूमेटॉइड अर्थराइटिस, ल्यूपस, थाइरॉयड आदि की बीमारी हो जाती है। इनमें इम्यून सिस्टम लगातार बॉडी में लड़ता रहता है जिससे कि बॉडी में दर्द, उत्तकों का खराब होना जैसी समस्याएं आती हैं।