अमेरिका में सुअर के दिल के साथ जी रहे आदमी की दो महीने बाद मौत!

डेविड बेनेट अपने आखिरी क्षणों में अपने परिवार के साथ बात-चीत करने में भी सक्षम था।

अमेरिका में सुअर के दिल के साथ जी रहे आदमी की दो महीने बाद मौत!
ख़ास बातें
  • डेविड नाम के इस व्यक्ति में 7 जनवरी को सुअर का दिल लगाया गया था।
  • हार्ट ट्रांसप्लांट के लगभग दो महीने के बाद डेविड की तबियत बिगड़ने लगी।
  • अपने आखिरी क्षणों में वह अपने परिवार के साथ बात-चीत करने में भी सक्षम था।
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सुअर का दिल ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्ति की लगभग दो महीने बाद अमेरिका में मृत्यु हो गई। सुअर का दिल मनुष्य में लगाए जाने का यह पहला मामला था। दिल की बीमारी से पीड़ित से 57 वर्ष के इस व्यक्ति में इस साल जनवरी में सुअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था। सुअर के दिल को जेनिटिकली मॉडिफाई किया गया था। मंगलवार को अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड मेडिकल सेंटर (UMCC) में सुअर के दिल के साथ जी रहे इस आदमी की मौत हो गई। 

David Bennett नाम के इस व्यक्ति में 7 जनवरी को सुअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था। अस्पताल ने एक बयान में कहा कि व्यक्ति की हालत कई दिन पहले से ही बिगड़ने लगी थी। फिर यह भी स्पष्ट हो गया कि अब इसकी हालत में सुधार नहीं होने वाला है और इसकी जान नहीं बचाई जा सकती है। 

यूएमसीसी (UMCC) कार्डिएक ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ बार्टले ग्रिफिथ ने एक वीडियो टेप किए गए बयान में कहा कि ट्रांसप्लांट से पहले David Bennett हार्ट फेल से उपजी कमजोरी को दूर करने में सक्षम नहीं था। इनके शरीर में दूसरे दिल को ट्रांसप्लांट करने के अलावा इनका कोई और इलाज नहीं किया जा सकता था। ट्रांसप्लांट किया गया दिल अच्छी तरह से काम करता है। 

डेविड बेनेट अपने आखिरी क्षणों में अपने परिवार के साथ बात-चीत करने में भी सक्षम था। पिछले साल अक्टूबर में पहली बार डेविड यूएमएमसी में आए थे और उन्हें हार्ट-लंग्स बाईपास मशीन पर रखा गया था। उस वक्त वो इस योग्य नहीं थे कि उनका दिल ट्रांसप्लांट किया जा सके।

हार्ट ट्रांसप्लांट के लगभग दो महीने के बाद डेविड की तबियत बिगड़ने लगी और फिर इन्हें दोबारा से यूएमसीसी में लाया गया। यहां पर इलाज के दौरान पता चला कि इनकी जान अब नहीं बचाई जा सकती है और मंगलवार को डेविड ने अंतिम सांस ली। शोधकर्ताओं ने लंबे समय से सूअरों को ट्रांसप्लांट के लिए अंगों का एक संभावित स्रोत माना है क्योंकि वे शारीरिक रूप से कई मायनों में मनुष्यों के समान हैं। इससे पहले भी सुअर से मनुष्य में अंगों के ट्रांसप्लांट की कोशिशें की गई हैं लेकिन यह जेनेटिक मतभेद के कारण सफल नहीं हो पाता था। इससे हार्ट को रिजेक्ट करने या संक्रमण का खतरा पैदा हो जाता था।

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