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क्‍या सचमुच एलियंस ने हमें भेजा था 'Wow! सिग्‍नल? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

आधी सदी पहले आए इस सिग्‍नल के सोर्स को लेकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह 1800 प्रकाश-वर्ष दूर सैजिटेरीअस तारामंडल में स्थित एक सूर्य जैसे तारे से आया होगा।

क्‍या सचमुच एलियंस ने हमें भेजा था 'Wow! सिग्‍नल? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा में एक ऐसी बुद्धिमान सभ्यता है, जो खुद के बारे में बताना चाहती है।

ख़ास बातें
  • साल 1977 में आया था रेडियाे सिग्‍नल
  • एक रेडियो टेलीस्‍कोप को मिला था सिग्‍नल
  • अब इसके सोर्स को लेकर अनुमान लगाया गया है
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एलियंस हमारी दुनिया के लिए हमेशा से रहस्‍य और उत्‍सुकता बने हुए हैं। ऐसे दावों की कमी नहीं है, जिनमें एलियंस के होने की बात कही जाती है। रिसर्चर्स इन दावों की पड़ताल में जुटे हुए हैं। इन्‍हीं में से एक है वो ब्रॉडकास्‍ट, जिसे ‘एलियन ब्रॉडकास्‍ट' कहा जाता है। यह बात साल 1977 की है। अमेरिका में एक रेडियो टेलीस्कोप को नैरोबैंड रेडियो सिग्नल मिला। इसे वाव (Wow) सिग्‍नल के रूप में जाना जाता है। इस सिग्‍नल ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था क्‍योंकि साइंटिस्‍ट इसकी उत्पत्ति का पता नहीं लगा पाए थे। कहा जा रहा है कि अब वैज्ञानिकों को इसका जवाब मिल गया है। 

आधी सदी पहले आए इस सिग्‍नल के सोर्स को लेकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह 1800 प्रकाश-वर्ष दूर सैजिटेरीअस तारामंडल में स्थित एक सूर्य जैसे तारे से आया होगा। खगोलशास्त्री अल्बर्टो कैबलेरो ने लाइव साइंस को बताया कि "वाव! सिग्नल को सबसे बेस्‍ट SETI कैंडिडेट रेडियो सिग्नल माना जाता है, जिसे हमारे टेलीस्‍कोपों ने पिक किया है। नासा के अनुसार, SETI या दूसरे ग्रहों की खोज वह क्षेत्र है, जिसके तहत 20वीं सदी के मध्य से ऐसे संदेशों को सुना जा रहा है। 

यह सिग्‍नल 15 अगस्त 1977 को ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में बिग ईयर टेलीस्कोप ऑब्‍जर्वेट्री ने रिसीव किया था। इसे वाव नाम मिला। खगोलशास्त्री जेरी एहमैन ने इसे यह नाम दिया था। बताया जाता है कि करीब 1 मिनट और 12 सेकंड तक यह सिग्‍नल दिखाई दिया था। 

अब एक स्‍टडी में खगोलविद अल्बर्टो कैबलेरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के गैया डेटा को स्कैन किया। इसमें 1 अरब से ज्‍यादा तारों का डेटा है। रिसर्चर्स ने उस क्षेत्र के तारों पर फोकस किया, जहां से सिग्‍नल आने की उम्‍मीद थी। उनका मानना है कि वाव सिग्‍नल के लिए सबसे संभावित तारा सूर्य के जैसा है। उसका क्षेत्र 2MASS 19281982-2640123 मालूम होता है। अल्बर्टो कैबलेरो ने कहा है कि यह तारा रेडियो सिग्‍नल के तौर पर उत्‍तर देने के लिए बहुत दूर है, लेकिन इसके चारों ओर स्थित एक्सोप्लैनेट की खोज के लिए इसका अध्ययन किया जा सकता है।

माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा में एक ऐसी बुद्धिमान सभ्यता है, जो खुद के बारे में बताना चाहती है। संभवत: उसी ने सिग्‍नल ने ब्रॉडकास्‍ट किया था। इससे पहले अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ने बताया था कि रिसर्चर्स ने बार-बार उस जगह पर खोज की, जहां सिग्‍नल मिला था, लेकिन उन्‍हें कुछ हाथ नहीं लगा। वाव! सिग्नल को लेकर सबसे ज्‍यादा संभावना है कि यह किसी तरह की प्राकृतिक घटना से आया है, एलियंस से नहीं। वैज्ञानिक इस बात को भी खारिज कर चुके हैं कि यह सिग्‍नल किसी धूमकेतु से आया था। 

इस सिग्नल को जेरी एहमन ने डिकोड किया था। सिग्नल को डिकोड करने के बाद उन्होंने एक खास कूट साइन- 6EQUJ5 पर लाल रंग से घेरा बनाकर उसके पास Wow! लिख दिया था। 

अब नई फाइंडिंग्‍स के अनुसार, जिस तारे से यह सिग्‍नल आया हो सकता है, वह हमारे सूर्य के समान व्यास, तापमान और चमक वाला है और 1,800 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। कैबलेरो का मानना है कि रहने लायक ग्रहों और सभ्यताओं की तलाश के लिए सूर्य जैसे तारे पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा विचार होगा।

 
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ये भी पढ़े: wow signal, Aliens, Scientist, Sagittarius, Ohio State University
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