हमारे सूर्य में पिछले कुछ महीनों से लगातार तूफान आ रहे हैं। हाल ही में 26 अगस्त को सोलर फ्लेयर्स (solar flares) के एक और बैच को पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए देखा गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ‘सनस्पॉट AR3089' ‘एम' क्लास सोलर फ्लेयर्स की सीरीज के तौर पर आगे बढ़ रहा है। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, एक विशाल सोलर फ्लेयर को ऑब्जर्व किया गया है। दरअसल, हमारा सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है। यह बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) चेतावनी दे चुकी है कि विशाल सौर विस्फोटों के बार-बार होने की संभावना है। यह विस्फोट और इनमें बढ़ोतरी साल 2025 तक जारी रहेगी।
इसके अलावा, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने भी
चेतावनी दी है कि एक ताकतवर सोलर फ्लेयर आज यानी 29 अगस्त को पृथ्वी से टकरा सकता है। हाल ही में इसका उत्सर्जन कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME से हुआ है। CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
जब
सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तो इससे भी रेडियो कम्युनिकेशन और पावर ग्रिड प्रभावित होते हैं। यह कई घंटों या दिनों तक बिजली और रेडियो ब्लैकआउट की वजह बन सकते हैं। हालांकि, बिजली ग्रिड फेल होने की समस्या तभी होती है जब सोलर फ्लेयर बहुत बड़ा हो। हालांकि पृथ्वी पर रहने वाले लोगों पर इनका कोई असर नहीं होता।
सौर तूफान सुनने में एक खतरनाक चीज लगती है, लेकिन पृथ्वी पर रहने वालों के लिए यह शानदार आकाशीय घटनाओं की वजह बनती है। इससे ऑरोरा दिखाई देते हैं। सूर्य से निकलने वाले तूफानों को उनकी तीव्रता के हिसाब से क्लासिफाई किया जाता है। सबसे कमजोर सौर तूफान- ए-क्लास, बी-क्लास और सी-क्लास में आते हैं। एम-क्लास के तूफान सबसे ताकतवर होते हैं और इनके हमारी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराने की संभावना बनी रहती है।