अंतरिक्ष वैज्ञानिक एस्टरॉयड के बारे में लगातार जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं। सौरमंडल के निर्माण के समय यह शेष रह गए टुकड़े बताए जाते हैं, यानि कि ये ग्रहों के ही अवशेष हो सकते हैं, ऐसा कहा जाता है। इनकी संरचना को समझकर वैज्ञानिक पता लगा सकते हैं कि सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ होगा। लेकिन कई बार इनसे खतरा भी पैदा हो सकता है। चूंकि एस्टरॉयड्स की तुलना में किसी बड़े ग्रह का गुरुत्वाकर्षण ज्यादा होता है, इसलिए ये ग्रह की ओर खिंचे चले आते हैं। पृथ्वी से अगर कोई एस्टरॉयड टकरा जाए तो यह जान-माल का बड़ा नुकसान कर सकता है। नासा ने आज यानि 13 मई, और कल यानि 14 मई को एस्टरॉयड के धरती के नजदीक आने का अलर्ट जारी किया है। क्या पृथ्वी की ओर बड़ा खतरा बढ़ रहा है? आइए जानते हैं।
इन दिनों
अंतरिक्ष में बहुत सी खगोलीय घटनाएं देखने को मिल रही हैं जिसमें एस्टरॉयड का आना भी शामिल है। एस्टरॉयड लगातार पृथ्वी की ओर आ रहे हैं और इसके करीब से गुजर रहे हैं। नासा ने ऐसे ही 2 बड़े एस्टरॉयड के आज और कल धरती के पास आने का अलर्ट जारी किया है। स्पेस में एस्टरॉयड पर नजर रखने के लिए नासा अपनी
जेट प्रॉपल्शन लेबोरटरी से लगातार इन्हें ट्रैक करती रहती है।
JPL के अनुसार, आज 13 मई को 2023 JG नाम का एस्टरॉयड पृथ्वी की ओर आ रहा है। यह 160 फीट बड़ा है जो कि किसी बड़े एयरप्लेन जितना साइज है। जब यह धरती के सबसे करीब पहुंचेगा होगा तो इसकी धरती से दूरी सिर्फ 7,110,000 किलोमीटर रह जाएगी। यह 54995 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
नासा की ओर से कल यानि 14 मई को भी एक एस्टरॉयड के धरती के पास आने की सूचना जारी की गई है। इसका नाम
एस्टरॉयड 2023 JP है। यह भी एक बड़े हवाई जहाज के आकार का है। इसका साइज 85 फीट है। जब यह धरती के सबसे करीब पहुंचेगा तो इसकी दूरी यहां से सिर्फ 3,230,000 किलोमीटर रह जाएगी। 150 फीट से बड़े एस्टरॉयड का धरती के करीब आना खतरनाक माना जाता है। ऐसे एस्टरॉयड पृथ्वी के बड़े हिस्से पर तबाही ला सकते हैं।
अंतरिक्ष एजेंसी नासा लगातार एस्टरॉयड ट्रैक करती रहती है। इन दिनों पृथ्वी की ओर लगातार कई एस्टरॉयड आने की घटनाएं हो चुकी हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। ऐसे में ये दोनों ही एस्टरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते हैं। हालांकि किसी क्षुद्र ग्रह या एस्टरॉयड के सीधे धरती से टकराने जैसी कोई सूचना नासा की ओर से जारी नहीं की गई है। लेकिन इनकी दिशा बहुत तेजी से बदल सकती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह धरती की सतह से टकराने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं।