• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • चिंता बढ़ाने वाली रिसर्च : दुनिया के बाकी इलाकों से 4 गुना तेज गर्म हो रहा आर्कटिक… क्‍या डूब जाएंगे हमारे शहर?

चिंता बढ़ाने वाली रिसर्च : दुनिया के बाकी इलाकों से 4 गुना तेज गर्म हो रहा आर्कटिक… क्‍या डूब जाएंगे हमारे शहर?

1980 की तुलना में आर्कटिक औसतन लगभग 3 डिग्री सेल्सियस गर्म है।

चिंता बढ़ाने वाली रिसर्च : दुनिया के बाकी इलाकों से 4 गुना तेज गर्म हो रहा आर्कटिक… क्‍या डूब जाएंगे हमारे शहर?

आंकड़े चिंताजनक है, क्योंकि आर्कटिक में संवेदनशील जलवायु है, जिसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा, तो उसका खमियाजा पूरी दुनिया को भुगतना होगा।

ख़ास बातें
  • आखिर आर्कटिक में तापमान इतनी तेजी से क्यों बढ़ा है
  • इसका जवाब यहां की उस समुद्री बर्फ में छुपा है
  • सोलर रेडिएशन इसमें भूमिका निभा रहा है
विज्ञापन
यह सच्‍चाई है कि पृथ्‍वी पहले की तुलना में ज्‍यादा गर्म है। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से तुलना करें, तो हमारा ग्रह लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस गर्म है। वह वॉर्मिंग एक समान नहीं है। कुछ क्षेत्रों में तापमान ज्‍यादा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा ही एक इलाका आर्कटिक है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि पिछले 43 साल में दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में आर्कटिक लगभग चार गुना तेजी से गर्म हुआ है। इसका मतलब है कि 1980 की तुलना में आर्कटिक औसतन लगभग 3 डिग्री सेल्सियस गर्म है। आंकड़े चिंताजनक है, क्योंकि आर्कटिक में संवेदनशील जलवायु है, जिसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा, तो उसका खमियाजा पूरी दुनिया को भुगतना होगा। 

आखिर आर्कटिक में तापमान इतनी तेजी से क्यों बढ़ा है? इसका जवाब यहां की उस समुद्री बर्फ में छुपा है, जो आमतौर पर एक मीटर से पांच मीटर तक मोटी होती है। यह सर्दियों में जम जाती है और गर्मियों में आंशिक रूप से पिघल जाती है। बर्फ की चमकदार परत अंतरिक्ष से आने वाले सोलर रेडिएशन का लगभग 85 फीसदी हिस्‍सा रिफ्लेक्‍ट करती है। इसके उलट गहरा समुद्र लगभग 90 फीसदी सोलर रेडिएशन को ऑब्‍जर्व कर लेता है। 

जब आर्कटिक का समुद्री बर्फ से ढका होता है, तो यह इसके लिए कंबल की तरह काम करता है और सोलर रेडिएशन का अवशोषण कम हो जाता है। लेकिन बर्फ के पिघलने पर सोलर रेडिएशन का अवशोषण बढ़ जाता है। इससे समुद्री बर्फ का पिघलना तेज होता है और वहां के तापमान में भी बढ़ोतरी होती है। 

सवाल है कि हमें कितना चिंतित होना चाहिए, क्‍योंकि आर्कटिक में बर्फ और पानी के अलावा भी कई चीजें हैं, जिन्‍हें नुकसान होने पर उसका असर पूरी दुनिया में होगा। इसी कॉम्‍पोनेंट में से एक है पर्माफ्रॉस्ट। यह पृथ्वी की सतह की स्थायी रूप से जमी हुई परत है। आर्कटिक में तापमान बढ़ने से यह परत भी पिघलती है और गहरी हो जाती है। परत के पिघलने से बायलॉजिकल एक्टिविटी बढ़ती है और वातावरण में कार्बन रिलीज होती है, जो एक चिंता की बात है। 

इसी तरह आर्कटिक का तापमान बढ़ने से ग्रीनलैंड की आइसशीट भी प्रभावित होगी। अगर यह पूरी तरह से पिघल गई तो दुनिया के समुद्र का लेवल 7.4 मीटर तक बढ़ जाएगा और हमारे कई शहर इतिहास बन सकते हैं।  
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ The resident bot. If you email me, a human will respond. और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. कैब सर्विस देने वाली ऐप्स के एंड्रॉयड और Apple डिवाइसेज के बीच किराए के अंतर की होगी जांच
  2. Bitcoin में बड़ी गिरावट, 96,000 डॉलर से नीचे गिरा प्राइस
  3. Redmi भारत में जल्द लॉन्च करेगी नया 5G स्मार्टफोन, हो सकता है Redmi 14C 5G!
  4. iQOO Z9 Turbo Endurance Edition में मिलेगी 6400mAh की बड़ी बैटरी, फिर भी स्लिम होगा डिजाइन!
  5. Samsung के Galaxy Z Fold 7 से काफी पहले लॉन्च हो सकता है Oppo का Find N5
  6. Mahindra के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स BE 6 और XEV 9e की जल्द शुरू होगी डिलीवरी
  7. सायबर फ्रॉड में मेडिकल का स्टूडेंट गिरफ्तार, चीन के नागरिकों को क्रिप्टो में भेजता था रकम 
  8. Lava जल्द लॉन्च करेगी 50 मेगापिक्सल के प्राइमरी कैमरा, AI फीचर्स के साथ नया स्मार्टफोन
  9. OnePlus Ace 5 सीरीज 16GB तक रैम, धांसू गेमिंग फीचर्स के साथ हुई लॉन्च, जानें कीमत और स्पेसिफिकेशन्स
  10. Xiaomi Pad 7 भारत में 12GB रैम, 144Hz डिस्प्ले के साथ 10 जनवरी को होगा लॉन्च!
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »