अंटार्कटिका (Antarctica) दुनिया की सबसे ठंडी जगह है। नासा के अनुसार, इसका औसत तापमान -34 डिग्री सेल्सियस रहता है। यहां पर केवल दो ही मौसम होते हैं- एक सर्दियों का, और दूसरा गर्मियों का। यहां गर्मियों में 6 महीने दिन रहता है जबकि सर्दियों में 6 महीने अंधेरा रहता है। लेकिन क्या आपने सोचा है बर्फ की मोटी चादर से ढके पृथ्वी के इस हिस्से के नीचे क्या मौजूद है? नई स्टडी कहती है कि सैकडों मीटर मोटी बर्फ के नीचे यहां नुकीले पहाड़, घाटियां, और मैदान भी मौजूद हैं! इनमें कुछ ट्रांसअंटार्कटिक पर्वत भी हैं जो बर्फ के ऊपर तक निकले हैं। लेकिन गम्बुर्त्सेव उपहिमनद पर्वतों जैसे कुछ ऐसे रहस्यमयी पहाड़ भी हैं पूरी तरह से नीचे दबे हैं। ये अंटार्कटिका के मिडल ईस्ट में मौजूद हैं।
गम्बुर्त्सेव (Gamburtsev) पर्वत ऊंचाई और शेप में
यूरोप के एल्प्स पर्वतों के जैसे ही हैं लेकिन हम इनको देख नहीं सकते हैं क्योंकि ये किलोमीटर मोटी बर्फ की चादर के नीचे गहरे में दबे पड़े हैं। मन में सवाल आता है कि ये यहां आए कैसे? दरअसल कोई भी पर्वत श्रृंखला उस जगह उभरती है जहां पर दो टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे से टकराती हों। लेकिन पूर्वी
अंटार्कटिका अरबों सालों से स्थिर है।
Earth and Planetary Science Letters में प्रकाशित नई स्टडी बताती है कि कैसे यह छुपी हुई पर्वतमाला 50 करोड़ साल पहले उभर कर आई जब सुपरमहाद्वीप गोंडवाना टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से बना था। गम्बुर्त्सेव (Gamburtsev) पर्वतों को पहली बार 1958 में भूकंपीय (seismic) तकनीकों का उपयोग करके एक सोवियत अभियान द्वारा खोजा गया था। चूंकि यह पर्वत श्रृंखला पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है, इसलिए यह पृथ्वी पर सबसे कम समझी जा सकने वाली टेक्टोनिक विशेषताओं में से एक है।
वैज्ञानिकों के लिए यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है। इतनी विशाल पर्वत श्रृंखला कैसे बनी, और एक प्राचीन, स्थिर महाद्वीप के हृदय में अभी भी कैसे संरक्षित है? प्लेट टेक्टोनिक मॉडल बताते हैं कि पूर्वी अंटार्कटिका में अब जो क्रस्ट बन रहा है, वह 70 करोड़ साल से भी पहले कम से कम दो बड़े महाद्वीपों से आया था। ये महाद्वीप एक विशाल महासागर बेसिन द्वारा अलग किए जाते थे। इन भू-खंडों के टकराव से गोंडवाना का जन्म हुआ, जो एक ऐसा महाद्वीप था जिसमें वर्तमान के अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अंटार्कटिका शामिल थे।
नई स्टडी इस विचार को सपोर्ट करती है कि गम्बुर्त्सेव पर्वत पहली बार इसी टकराव के दौरान बने थे। महाद्वीपों के विशाल टकराव ने पहाड़ों के नीचे गहरे गर्म, आंशिक रूप से पिघली हुई चट्टान के प्रवाह को गति दी। जैसे-जैसे पर्वत निर्माण के दौरान क्रस्ट मोटा और गर्म होता गया, यह आखिर में अस्थिर हो गया और अपने ही वजन के नीचे धंसने लगा।
महाद्वीपीय टकरावों से बनी ज़्यादातर पर्वत श्रृंखलाएँ अंततः कटाव के कारण नष्ट हो जाती हैं या बाद में होने वाली टेक्टोनिक घटनाओं के कारण उनका आकार बदल जाता है। चूँकि गम्बुर्त्सेव पर्वत बर्फ की एक गहरी परत द्वारा संरक्षित हैं, इसलिए ये पर्वत पृथ्वी पर सबसे अच्छी तरह से संरक्षित प्राचीन पर्वत बेल्ट में से एक हैं।