एक और सैटेलाइट पृथ्वी पर गिरने वाला है! यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) का एओलस सैटेलाइट (Aeolus satellite) इस सप्ताह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है। स्पेस एजेंसी पूरी कोशिश कर रही है ताकि सैटेलाइट को नियंत्रित तरीके से खत्म किया जा सके। ESA ने इसे अंतरिक्ष उड़ान के लिए मील का पत्थर बताया है। कहा है कि इससे पहले किसी भी सैटेलाइट को ‘सहायक' तरीके से डीऑर्बिट नहीं किया गया है। ऐसे तरीके आमतौर पर रॉकेट स्टेज के लिए अपनाए जाते हैं, जिससे वो सुरक्षित रूप में समुद्र में लैंडिंग करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है कि कल यानी 28 जुलाई को एओलस सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करेगा और खत्म हो जाएगा। 1360 किलोग्राम के इस सैटेलाइट को अगस्त 2018 में लॉन्च किया गया था। मकसद था- पृथ्वी पर बहने वाली हवाओं की स्टडी करना। इस सैटेलाइट में सिर्फ डॉप्लर विंड लिडार लगा है, जिसकी मदद से वैज्ञानिकों को मौसम का पूर्वानुमान करने में मदद मिली।
अपने जीवनकाल के दौरान
एओलस सैटेलाइट ने पृथ्वी से 320 किलोमीटर ऊपर से पृथ्वी पर बहने वाली हवाओं को ऑब्वर्ज किया। यह मिशन 3 साल के लिए था। मौजूदा वक्त में इस सैटेलाइट का फ्यूल काफी कम हो गया है। यही वजह है कि स्पेस एजेंसी इसे नीचे ला रही है।
आमतौर पर सैटेलाइट जब अपना मिशन पूरा कर लेते हैं, तो वह अनियंत्रित होकर पृथ्वी पर गिर जाते हैं। ज्यादातर मामलों में इनके क्रैश समुद्री इलाकों में होते हैं। एओलस सैटेलाइट के लिए भी कुछ ऐसा ही सोचा गया था, लेकिन ऐन वक्त पर मिशन से जुड़ी टीम ने इस नियंत्रित तरीके से खत्म करने का फैसला किया। ईएसए का यह कदम अन्य देशों खासकर चीन के लिए बड़ा संदेश है कि उसे अपने सैटेलाइट्स को आखिरी वक्त में छोड़ना नहीं चाहिए। उन्हें नियंत्रित तरीके से खत्म करना चाहिए।
एओलस सैटेलाइट धीरे-धीरे नीचे आ रहा है। इसे 120 किलोमीटर तक नीचे लाय जाएगा, जिसके बाद यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। ईएसए की टीम को उम्मीद है कि सैटेलाइट अटलांटिक महासागर के ऊपर प्रवेश करेगा। हालांकि सटीक लोकेशन का अभी पता नहीं है।