डायनासोरों को लेकर कई खोजें हो चुकी हैं और इनकी मौजूदगी के बारे में कई थ्योरी दी गई हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में डायनासोरों के होने के प्रमाण खोजे जा चुके हैं। इसी कड़ी में एक और बड़ी खोज सामने आई है। जीवाश्म विज्ञानियों को डायनासारों के पैरों के सैकड़ों निशान मिले हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि यहां से वे बड़ी संख्या में गुजरते होंगे। यानी यह एक तरह से डायनासोरों का 'हाइवे' कहा जा रहा है। यह खोज यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफॉर्ड और बर्मिंघम के जीवाश्म विज्ञानियों ने की है।
जीवाश्म विज्ञानियों को ऑक्सफॉर्डशायर में डेवार्स फार्म क्वेर्री में
डायनासोरों के पैरों के निशान मिले हैं। इस साइट को 16.6 करोड़ साल पुरानी बताया जा रहा है जो मिडल जुरासिक पीरियड की है। वैज्ञानिकों का कहना है (
via) कि इस डायनासोरों के इस हाईवे पर से दोनों तरह के, शाकाहारी और मांसाहारी, डायनासोर गुजरते थे। जून 2024 में यह खुदाई पूरी हुई थी। जिसमें पांच प्रमुख ट्रैकवे सामने आए। इनमें सबसे बड़ा ट्रैक 150 मीटर से भी ज्यादा लंबा है।
इनमें से चार ट्रैक सॉरोपोड्स द्वारा बनाए गए थे जो सीटियोसॉरस जैसे बेहद विशाल, लंबी गर्दन वाले शाकाहारी जानवर हैं। ये 18 मीटर तक लंबे हो सकते हैं। पाँचवाँ ट्रैकवे मेगालोसॉरस का बताया जा रहा है। मेगालोसॉरस 9 मीटर तक लंबा हो सकता है। यह मांसाहारी थेरोपोड है जो अपने तीन उंगलियों वाले पंजे के लिए जाना जाता है।
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की माइक्रो-पैलियोन्टोलॉजिस्ट प्रोफेसर क्रिस्टी एडगर के
अनुसार, पैरों के निशान उस जानवर के जीवन के उन पलों के बारे में बताते हैं। यह बताता है कि वे वहां मौजूद थे। यह संकेत देता है कि वे क्या कर रहे थे। यह भी पता लगाया जा सकता है कि वे कितने बड़े थे और कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे थे। वे एक-दूसरे के साथ और अपने पर्यावरण के साथ कैसे संवाद कर रहे थे।
डायनासोर के ये पैरों के निशान सबसे पहले खदान में काम करने वाले गैरी जॉनसन ने देखे थे। जॉनसन को मिट्टी में असामान्य निशान दिखे तो उसने शोधकर्ताओं को सचेत किया। उसके बाद 100 से ज़्यादा वैज्ञानिकों, वॉलंटियर्स और खदान कर्मचारियों ने यहां 200 पैरों के निशान खोजे। यह खुदाई एक हफ्ते तक चली थी।