आयकर विभाग ने नकली पैन कार्ड की समस्या के समाधान के लिये नई तकनीक तलाश ली है। इसके जरिये कर अधिकारी नकली पैन को खत्म भी कर सकेंगे।
विभाग महत्वकांक्षी इलेक्ट्रानिक स्मार्ट प्लेटफार्म इंकम टैक्स बिजनेस एप्लीकेशन-परमानेंट एकाउंट नंबर (आईटीबीए-पैन) परिचालन में ले आया है। इससे कर अधिकारियों तथा पैन जारी करने वाले मध्यस्थों को नकली पैन संख्या को पहचानने में मदद मिलेगी। इसके तहत जब भी आयकर विभाग द्वारा जारी विशेष पहचान संख्या के लिये नया आवेदन उनके इस पोर्टल पर पहुंचेगा, नकली पैन की पहचान करने में मदद मिलेगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पहले विभाग मैनुआल तरीके (हाथ से) नकली पैन की पहचान करता था जो पूरी तरह दुरूस्त प्रणाली नहीं कही जा सकती। नई इलेक्ट्रानिक प्रणाली इस काम के लिये पूरी तरह उपयुक्त है।’’ हालांकि पुराने पैन कार्ड के मामलों में मैनुअल प्रणाली जारी रहेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘पुरानी प्रणाली ऐसे मामले बहुत ज्यादा नहीं है। जब भी सूचना मिलती है, ऐसे मामलों को पहचान कर उनका निपटान किया जाता है।’’ विभाग पिछले कई साल से इस समस्या की बुराई पर लगाम लगाने के लिये कोशिश करता आ रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी इकाई दो पैन कार्ड के जरिये चोरी नहीं कर सके। पूर्व में ऐसे कई मामले देखने को मिले जहां कर चोरी तथा कालाधन मामलों की जांच में जांचकर्ताओं ने पाया कि आर्थिक अपराध को अंजाम देने के लिये नकली पैन कार्ड का उपयोग किया गया।
विभाग के सिस्टम विभाग ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को नई उन्नत प्रौद्योगिकी के बारे में सूचना देते हुए कहा, ‘‘नई प्रक्रिया से किसी व्यक्ति को जारी नकली पैन की पहचान और उसे जमा कराने में मदद मिलेगी ताकि नकली पैन के उपयोग को रोका जा सके।’’ आईटीबीए-पैन प्लेटफार्म पर नकली पैन का पता लगने के बाद नई प्रणाली कर-अधिकारियों को इसकी सूचना देगा ताकि वे वह संबंधित व्यक्ति को कर-अधिकारी के पास जाकर नकली पैन जमा कराने को कह सकें। अगर आवेदनकर्ता गलती नहीं सुधारता है तो प्रणाली उसकी जांच कर स्वत: नकली पैन खत्म कर देगी।
ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में 24.37 करोड़ पैन पंजीकृत हैं लेकिन नकली पहचान संख्या के बारे में कोई वास्तविक आंकड़ा नहीं है।
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