डिजी यात्रा प्रोजेक्ट (Digi Yatra project) का पहला चरण 15 अगस्त से बंगलूरू और वाराणसी के एयरपोर्टों पर शुरू हो जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत फेशियल रेकग्निशन (facial recognition) तकनीक का इस्तेमाल करके यात्रियों को एयरपोर्ट पर चेक-इन करने की इजाजत मिलेगी। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को यह जानकारी दी। प्रोजेक्ट के तहत एक यात्री को उसके बोर्डिंग पास से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सिर्फ अपने फेशियल फीचर्स का इस्तेमाल करना होगा। इस तरह विभिन्न चेक पॉइंट्स पर पेपरलैस और कॉन्टैक्टलैस चेक-इन मुमकिन होगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर के जरिए
बताया कि सोमवार को उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर अपने मंत्रालय की सलाहकार समिति की एक बैठक की अध्यक्षता की। इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे। उन्होंने लिखा, ‘हवाईअड्डों पर यात्रियों से संबंधित प्रोसेस को डिजिटल बनाने के हमारे पहले प्रोजेक्ट “डिजी यात्रा' के कामकाज पर चर्चा की। 15 अगस्त को बंगलूरू और वाराणसी एयरपोर्टों पर पहले चरण की शुरुआत होगी।' उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में प्राइवेसी के मुद्दों का ध्यान भी रखा गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक
बयान में कहा है कि डिजी यात्रा ‘डिसेंट्रलाइज्ड मोबाइल वॉलेट-बेस्ड आइडेंटिटी मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म' प्रदान करती है। यह कॉस्ट इफेक्टिव है और प्राइवेसी व डेटा सिक्योरिटी के मुद्दों को भी देखता है। बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत डिजी यात्रा फाउंडेशन (DYF) एक पैन इंडिया यूनिट और पैसेंजर आईडी वेलिडेशन प्रोसेस का कस्टोडियन होगा। DYF को 2019 में कंपनी ऐक्ट, 2013 की धारा 8 के तहत एक जॉइंट वेंचर कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है।
इसके 26 फीसदी शेयर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास हैं, जबकि बाकी 74 फीसदी शेयर बंगलूरू, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और कोच्चि में हवाई अड्डों के प्राइवेट ऑपरेटरों के पास होंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर डीवाईएफ देश में एविएशन स्टेकहोल्डर्स के बीच आम सहमति भी डेवलप करेगा। मंत्रालय ने कहा है कि डिजी यात्रा को अगले साल मार्च तक पुणे, विजयवाड़ा, कोलकाता, दिल्ली और हैदराबाद के एयरपोर्टों पर भी शुरू किया जाएगा।