ग्लोबल स्मार्टफोन कंपनी Xiaomi की भारत में यूनिट ने अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी दी थी। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को 'गैर कानूनी' तरीके से रकम भेजी थी।
हालांकि, कंपनी ने किसी गड़बड़ी से इनकार किया है और एक भारतीय कोर्ट में याचिका दायर कहा है कि उसकी ओर से की गई पेमेंट्स वैध थी और भारत में उसके एसेट्स को जब्त करने से एक महत्वपूर्ण मार्केट में उसका बिजनेस लगभग रुक गया है। कोर्ट ने पिछले महीने कंपनी को कोई राहत देने से मना कर दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी। Xiaomi की ओर से कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों से जांच के निष्कर्षों पर नई जानकारी मिली है। इससे पता चलता है कि जांच अधिकारियों ने पेटेंट जैसी लाइसेंस्ड टेक्नोलॉजी के लिए Qualcomm को रकम के ट्रांसफर में गड़बड़ी की थी।
देश में Deutsche Bank के एक एग्जिक्यूटिव ने जांच अधिकारियों को अप्रैल में बताया था कि भारतीय कानून के तहत रॉयल्टी की पेमेंट्स के लिए Xiaomi की भारत में यूनिट और क्वालकॉम के बीच एक कानूनी
एग्रीमेंट होना जरूरी था। कंपनी ने Deutsche Bank को बताया था कि उसके पास ऐसा एग्रीमेंट मौजूद है।
Xiaomi के लगभग 67.6 करोड़ डॉलर के एसेट्स को जब्त करने के खिलाफ अपील को कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने ये एसेट्स जब्त किए हैं। ED का आरोप है कि
कंपनी ने रॉयल्टी के भुगतान की मद में विदेश में गैर कानूनी तरीके से रकम ट्रांसफर की थी। पिछले सप्ताह एक अपीलेट अथॉरिटी ने एसेट्स जब्त करने की ED को अनुमति दी थी। देश के स्मार्टफोन मार्केट में Xiaomi लगभग 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ टॉप कंपनियों में शामिल है। भारत और चीन के बीच लगभग दो वर्ष पहले बॉर्डर पर तनाव के बाद बहुत सी चाइनीज कंपनियों को भारत में बिजनेस करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा के कारणों से टिकटॉक सहित 300 से अधिक चाइनीज ऐप्स पर भी बैन लगा दिया था। पिछले कुछ महीनों में बहुत सी चाइनीज फर्मों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों ने कार्रवाई की है।
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