बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों में शामिल Xiaomi ने अपनी कई यूनिट्स से वर्कर्स की छंटनी शुरू कर दी है। कंपनी ने अपनी वर्कफोर्स को लगभग 15 प्रतिशत घटाने की योजना बनाई है। Xiaomi के स्टाफ की संख्या सितंबर के अंत में 35,314 की थी। इनमें से 32,000 से अधिक चीन में हैं।
हांगकांग के एक समाचार पत्र ने छंटनी का शिकार हुए वर्कर्स और चीन के लोकल मीडिया के हवाले से शाओमी में छंटनी की
रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि चीन के Weibo और Xiaohongshu जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जॉब्स में कटौती को लेकर कई पोस्ट की गई हैं। कंपनी के इस फैसले से हजारों वर्कर्स पर असर पड़ सकता है। इनमें से कई ने पिछले वर्ष दिसंबर में कंपनी के साथ जॉब शुरू की थी। इस बारे में Reuters की ओर से ईमेल से भेजे प्रश्नों का शाओमी ने उत्तर नहीं दिया। चीन में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड घट गई है।
Xiaomi का पिछली तिमाही में रेवेन्यू लगभग 10 प्रतिशत घटा था।
कंपनी की बिक्री पर ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट की मंदी और चीन में डिमांड घटने का असर पड़ा है। इसके मोबाइल डिवाइसेज की बिक्री में लगभग 11 प्रतिशत की कमी हुई थी। जुलाई-सितंबर के दौरान कंपनी की सेल्स 70.5 अरब युआन (लगभग 80,900 करोड़ रुपये) की रही। शाओमी की सेल्स अनुमान से कुछ अधिक रही है लेकिन कंपनी को हुआ लगभग 1.5 अरब युआन का नेट लॉस हैरान करने वाला था। शाओमी ने इनवेस्टमेंट पर लॉस जैसी मदों में लगभग 3 अरब युआन को राइटडाउन किया था और इस वजह से इसके नतीजों में नेट लॉस दिख रहा था। चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के कारण टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। इससे सप्लाई चेन में रुकावट आई है। हालांकि, शाओमी ने यूरोप में मार्केट शेयर बढ़ाने में सफलता पाई है।
अगले वर्ष स्मार्टफोन की ग्लोबल सेल्स 2.9 प्रतिशत घटने का अनुमान है। शाओमी की यूनिट सेल्स इस वर्ष गिरने की आशंका है। भारत में कंपनी की यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा है। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को 'गैर कानूनी' तरीके से रकम भेजी थी।
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