Xiaomi के वाइस प्रेसिडेंट Manu Jain का 9 वर्ष के कार्यकाल के बाद इस्तीफा

Xiaomi ने पिछले महीने अपनी कई यूनिट्स से वर्कर्स की छंटनी शुरू की थी। कंपनी ने अपनी वर्कफोर्स को लगभग 15 प्रतिशत घटाने की योजना बनाई है

Xiaomi के वाइस प्रेसिडेंट Manu Jain का 9 वर्ष के कार्यकाल के बाद इस्तीफा

भारत में कंपनी की यूनिट पर अपने बैंकर को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा है

ख़ास बातें
  • Xiaomi ने पिछले महीने कई यूनिट्स से वर्कर्स की छंटनी शुरू की थी
  • कंपनी के स्टाफ की संख्या सितंबर के अंत में 35,314 की थी
  • शाओमी ने यूरोप में मार्केट शेयर बढ़ाने में सफलता पाई है
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चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी Xiaomi के ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट और कंपनी की भारतीय यूनिट के पूर्व हेड, Manu Kumar Jain ने इस्तीफा दे दिया है। वह शाओमी के साथ नौ वर्ष से जुड़े थे। इस कंपनी का भारत में फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के कथित उल्लंघन को लेकर एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) के साथ कानूनी विवाद चल रहा है। 

Jain ने एक ट्वीट में कहा, "पिछले नौ वर्षों में मुझे बहुत सहयोग मिला है और गुडबाय कहना बहुत मुश्किल है। आप सभी का धन्यवाद। यात्रा की समाप्ति एक नई यात्रा की शुरुआत भी होती है।" भारत में कंपनी के बिजनेस को मजबूत बनाने में जैन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें लगभग पांच वर्ष पहले शाओमी का ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था। वह भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में शाओमी के बिजनेस की कमान संभाल रहे थे। जैन ने कहा, "हमारा बिजनेस बढ़ने के साथ भारत में 50,000 से अधिक जॉब्स जेनरेट करने में मदद मिली है।" 

Xiaomi ने पिछले महीने अपनी कई यूनिट्स से वर्कर्स की छंटनी शुरू की थी। कंपनी ने अपनी वर्कफोर्स को लगभग 15 प्रतिशत घटाने की योजना बनाई है। Xiaomi के स्टाफ की संख्या सितंबर के अंत में 35,314 की थी। इनमें से 32,000 से अधिक चीन में हैं।  कंपनी के इस फैसले से हजारों वर्कर्स पर असर पड़ सकता है। चीन में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया था। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड घट गई थी। हालांकि, शाओमी ने यूरोप में मार्केट शेयर बढ़ाने में सफलता पाई है। 

भारत में कंपनी की यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा है। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को 'गैर कानूनी' तरीके से रकम भेजी थी। Deutsche Bank के एक एग्जिक्यूटिव ने जांच अधिकारियों को बताया था कि भारतीय कानून के तहत रॉयल्टी की पेमेंट्स के लिए Xiaomi की भारत में यूनिट और क्वालकॉम के बीच एक कानूनी एग्रीमेंट होना जरूरी था। कंपनी ने Deutsche Bank को बताया था कि उसके पास ऐसा एग्रीमेंट मौजूद है, जबकि ऐसा नहीं था। 
 
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ये भी पढ़े: Smartphone, Xiaomi, devices, China, Market, Bhutan, Workers, Demand, Nepal, Business
आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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