भारत में कारोबार कर रहीं कई कंपनियां टैक्स पेमेंट से बचने के लिए नए रास्ते अख्तियार कर रही हैं। बीते कुछ वक्त में ऐसे मामलों का खुलासा हुआ है। इस कड़ी में अगला नाम चीनी कंपनी वीवो (Vivo) का जुड़ गया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गुरुवार को बताया कि देश में टैक्स के भुगतान से बचने के लिए स्मार्टफोन निर्माता वीवो ने चीन को 62,476 करोड़ रुपये ‘अवैध रूप से' ट्रांसफर किए हैं। ईडी ने चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया है।
यह पैसा वीवो के कुल कारोबार 1 लाख 25 हजार 185 करोड़ रुपये का लगभग आधा बताया जा रहा है। दो दिन पहले ही ईडी ने वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ी 48 जगहों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद यह बयान सामने आया है। ईडी ने यह भी कहा है कि छापेमारी के बाद उसने 119 बैंक अकाउंट्स में रखे गए 465 करोड़ रुपये, 73 लाख रुपये कैश और 2 किलो गोल्ड बार को जब्त किया है।
वीवो पर कार्रवाई तब हुई, जब जांच एजेंसी को पता चला कि तीन चीनी नागरिकों और एक अन्य व्यक्ति ने भारत में 23 कंपनियों को इन सबमें शामिल किया। एक चार्टर्ड एकाउंटेंट नितिन गर्ग का नाम भी मामले में सामने आ रहा है। बताया जाता है कि सभी चीनी नागरिक साल 2018 से 21 के दौरान भारत छोड़कर जा चुके हैं। इनकी पहचान बिन लू, झेंगशेन ओयू और झांग जी के रूप में हुई है। बिन लू को वीवो का पूर्व-डायरेक्टर बताया जाता है। उसने 2018 में भारत छोड़ दिया था, जबकि बाकी दो नागरिक साल 2021 में देश से चले गए थे।
ईडी ने कहा है कि इन (23) कंपनियों ने वीवो इंडिया को बड़ी मात्रा में फंड ट्रांसफर किया। इसके अलावा, 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से वीवो इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये या टर्नओवर का लगभग 50 प्रतिशत भारत से बाहर मुख्य रूप से चीन के लिए भेज दिया।
ईडी के इस ऐक्शन को केंद्र सरकार द्वारा चीनी संस्थाओं पर सख्ती और ऐसी फर्मों और उनसे जुड़े भारतीय ऑपरेटिव्स पर कार्रवाई के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जो कथित तौर पर यहां काम करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों में शामिल हैं।