टोक्यो में ओलंपिक गेम्स (Tokyo Olympic Games) चल रहे हैं और भारत समेत दुनिया भर के देशों के महारथी इस खोलों के महाकुंभ में अपने हुनर का परचम लहरा रहे हैं। ओलंपिक गेम्स हर 4 साल में विभिन्न देशों में आयोजित किए जाते हैं और इनके लिए अलग लोगो (Logo), अलग मैस्कॉट और मेडल डिज़ाइन होते हैं। क्या आप जानते हैं टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार किए गए मेडल (पदक) अपने में बेहद यूनिक हैं। अभी तक आपने सुना होगा कि प्रतियोगिताओं में मिलने वाले मेडल गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज़ धातु के बने होते हैं, लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि टोक्यो ओलंपिक में इन मेडल को पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स को रिसाइकिल करके बनाया गया है।
Tokyo Olympic की
वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, ऐसा ओलंपिक के इतिहास में पहली बार हुआ है कि विजेताओं को मिलने वाले मेडल्स को शुद्ध सोने, चांदी या ब्रॉन्ज़ से नहीं, बल्कि पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स, जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि को रिसाइकिल करके बनाया गया है। प्रभावित करने वाली बात यह है कि देश में इस प्रोजेक्ट (Tokyo 2020 Medal Project) के लिए काम 2017 से शुरू हो गया था।
Tokyo 2020 Medal Project के लिए छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का कलेक्शन रविवार, 31 मार्च 2019 को बंद हुआ था। मेडल डिजाइन की घोषणा 2019 की गर्मियों में की गई थी। अप्रैल 2017 से मार्च 2019 के बीच लगभग 5,000 गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल बनाने के लिए आवश्यक 100 प्रतिशत धातुएं पूरे जापान के लोगों द्वारा योगदान किए गए छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से निकाली गईं। टोक्यो 2020 गेम्स के दौरान एथलीट्स को दिया जाने वाला हर मेडल रिसाइकिल धातुओं से बनाया गया है।
ब्लॉग के अनुसार, जापान की 1,621 नगर पालिकाओं ने मिलकर लगभग 78,985 टन सामान एकत्रित किया, जिसमें मोबाइल फोन और कुछ अन्य छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल थे। इसके अलावा, पूरे जापान में मौजूद NTT Docomo रिटेल स्टोर्स ने लगभग 6.21 मिलियन (62.1 लाख) फोन एकत्रित किए। इन डिवाइस से लगभग 32 किलोग्राम सोना, 3,500 किलोग्राम सिल्वर और 2,200 किलोग्राम ब्रॉन्ज़ निकाला गया। इसके बाद, इन सभी मेटल को पिघलाकर मेडल बनाए गए।
Tokyo 2020 Medal Project के इन आकंड़ों और जापान द्वारा उठाए इस बेहतरीन कदम के बारे में नीचे दिए गए आधिकारिक वीडियो में बताया गया है।