मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में स्मार्टफोन की इंटरनेशनल शिपमेंट्स में मामूली बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, जनवरी से मार्च के दौरान भारत और लैटिन अमेरिका जैसे मार्केट्स में स्मार्टफोन्स की सेल्स में गिरावट दर्ज की गई है। अमेरिका और चीन के मार्केट्स में ग्रोथ हुई है। दक्षिण कोरिया की Samsung ने पहली तिमाही में इस मार्केट में पहला स्थान हासिल किया है।
मार्केट रिसर्च फर्म Canalys की
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष की पहली तिमाही में स्मार्टफोन की इंटरनेशनल शिपमेंट्स 0.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 29.69 करोड़ यूनिट्स की हैं। इस मार्केट में लगातार तीसरी तिमाही में ग्रोथ कम रही है। सैमसंग का लगभग 6.05 करोड़ यूनिट्स की शिपमेंट के साथ लगभग 20 प्रतिशत का मार्केट शेयर है। सैमसंग को Galaxy S25 सीरीज और नई Galaxy A सीरीज के लॉन्च से फायदा हुआ है। इस मार्केट में लगभग 5.5 करोड़ यूनिट्स की शिपमेंट के साथ एपल ने लगभग 19 प्रतिशत मार्केट शेयर हासिल किया है।
चीन की Xiaomi लगभग 4.18 करोड़ स्मार्टफोन्स की शिपमेंट के साथ तीसरे स्थान पर है। शाओमी का मार्केट शेयर लगभग 14 प्रतिशत का है। इसके बाद चीन की ही Vivo और Oppo को चौथा और पांचवां रैंक मिला है। इन दोनों कंपनियों की स्मार्टफोन मार्केट में हिस्सेदारी लगभग आठ प्रतिशत की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली तिमाही में अमेरिका, चीन और अफ्रीका के मार्केटस में स्मार्टफोन की शिपमेंट्स बढ़ी हैं। हालांकि, भारत और मिडल ईस्ट के मार्केट्स में इन शिपमेंट्स में कमी हुई है।
पहली तिमाही में अमेरिका का स्मार्टफोन मार्केट वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 12 प्रतिशत बढ़ा है। इस मार्केट में एपल की बड़ी हिस्सेदारी है। अमेरिका के चीन सहित कई देशों पर टैरिफ लगाने के असर से बचने के लिए
एपल ने Iphones की इनवेंटरी को जमा किया है। चीन में मैन्युफैक्चरिंग वाले आईफोन्स का बड़ी संख्या में अमेरिका को एक्सपोर्ट किया जाता है। एपल का टारगेट अमेरिका में बिक्री वाले अधिकांश iPhones की मैन्युफैक्चरिंग भारत में करने का है। अमेरिकी प्रेसिडेंट Donald Trump ने चीन से इम्पोर्ट पर भारी टैरिफ लगाया है। भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने से एपल को कम टैरिफ पर अमेरिका में आईफोन्स का इम्पोर्ट करने में आसानी होगी। इसके लिए एपल को भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग को लगभग दोगुना बढ़ाकर आठ करोड़ यूनिट्स से अधिक करना होगा। पिछले वित्त वर्ष में देश में कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स ने चार करोड़ से कुछ अधिक आईफोन्स की असेंबलिंग की थी।