Apple पर अपने Apple इंटेलिजेंस फीचर से संबंधित गलत विज्ञापन के आरोपों के चलते सैन जोस में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक केस दर्ज हो गया है। केस में दावा किया गया है कि Apple ने एडवांस AI कैपेबिलिटिज को प्रमोट करके यूजर्स को गुमराह किया, जो खरीद के समय उपलब्ध नहीं थीं या तो देरी से उपलब्ध थीं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Apple पर हुआ केस
Apple के मार्केटिंग कैंपेन ने एक दमदार उम्मीद पैदा की थी कि iPhone 16 सीरीज के रिलीज होने पर AI बेस्ड Siri अपग्रेड समेत Apple इंटेलिजेंस फीचर्स उपलब्ध होंगे। हालांकि, इनमें से कई फीचर्स देरी से उपलब्ध हुए और कुछ अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। केस में आरोप लगाया गया है कि Apple ने सेल्स बढ़ाने के लिए जानबूझकर इन कैपेसिटी को प्रमोट दिया, जिससे ग्राहकों को नहीं मिलीं।
WWDC 2024 के दौरान पेश किए गए
Apple इंटेलिजेंस को आईफोन, आईपैड और मैक के लिए बेहतरीन AI टूल के एक सूट के तौर पर पेश किया गया था। हालांकि, रोलआउट में देरी हुई है, जिसमें एडवांस Siri कैपेसिटी जैसे फीचर्स अब 2026 में लॉन्च होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी के अंदर की दिक्कतों जैसे कि अनसुलझे बग और लीडरशिप में बदलाव के चलते यह पूरा नहीं हो पाया था।
Apple के सीईओ टिम कुक ने कथित तौर पर कंपनी की एआई स्ट्रैटजी के लागू करने के बीच विजन प्रो टीम के हेड माइक रॉकवेल को AI प्रोजेक्ट दिए थे। लीडरशिप में इस बदलाव से पता चलता है कि एप्पल देरी के लिए कैसे काम कर रहा है और अपने AI डेवलपमेंट प्रोसेस में सुधार कर रहा है। केस उन यूजर्स के लिए फाइनेंशियल डैमेज की मांग करता है जिन्होंने विज्ञापन में दिए गए AI फीचर्स के आधार पर Apple डिवाइस खरीदे हैं। यह विज्ञापन स्टैंडर्ड के साथ Apple के अनुपालन और बताए गए फंक्शन को प्रदान करने की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है।