जापान की बड़ी ऑटोमेकर टोयोटा (Toyota) को साइबर अटैक के चलते अपना काम रोकना पड़ा है। कंपनी ने बताया है कि उसके ‘पार्ट सप्लायर' पर साइबर अटैक की जानकारी मिलने के बाद वह एक दिन के लिए अपने सभी डोमेस्टिक प्लांट में ऑपरेशंस को रोक रही है। एक बयान में कंपनी ने कहा है कि जापान में एक सप्लायर का सिस्टम फेल होने के कारण कंपनी ने 1 मार्च को सभी 14 डोमेस्टिक प्लांट में अपने ऑपरेशन को सस्पेंड करने का फैसला किया है।
Nikkei अखबार ने
बताया कि टोयोटा को सप्लाई देने वाले एक पार्ट मैन्युफैक्चरर पर संदिग्ध साइबर अटैक के बाद टोयोटा ने यह फैसला लिया। हालांकि कंपनी के स्पोक्सपर्सन ने किसी कमेंट से इनकार किया है। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशंस को रोके जाने से 13 हजार व्हीकल्स के प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि टोयोटा दुनिया की टॉप सेलिंग ऑटोमेकर कंपनियों में से एक है। कोरोना महामारी की वजह से सप्लाई चेन में आए इशू और दुनियाभर में चिप संकट की वजह से कंपनी को पहले ही अपने लक्ष्यों में कटौती करनी पड़ी है।
टोयोटा से जुड़ी एक और खबर के
मुताबिक, जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ भी कंपनी एक व्हीकल पर काम कर रही है। इसे चंद्रमा पर उतारने की तैयारी है। कंपनी साल 2040 तक लोगों को चंद्रमा पर रहने में मदद करना चाहती है और उसके बाद मंगल ग्रह पर जाने की तैयारी है। बीते दिनों आई एक रिपोर्ट में कंपनी के अधिकारियों ने बताया था कि जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ डेवलप किए जा रहे इस व्हीकल को लूनार क्रूजर नाम दिया गया है। यह नाम टोयोटा की लैंड क्रूजर स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल को समर्पित है।
टोयोटा मोटर के लूनार क्रूजर प्रोजेक्ट के हेड ताकाओ सातो ने कहा कि इस व्हीकल के पीछे यह आइडिया है कि लोग कारों में सुरक्षित रूप से खाते हैं, काम करते हैं, सोते हैं और दूसरों से कम्युनिकेट करते हैं। अंतरिक्ष के बाहर भी यही किया जाता है। यानी व्हीकल को इसी तर्ज पर तैयार किया जा रहा है।
टोयोटा के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने वाली कंपनी Gitai Japan ने लूनार क्रूजर के लिए एक रोबोटिक आर्म डेवलप किया है। इसे प्रोजेक्ट का निरीक्षण और रखरखाव जैसे कामों के लिए डिजाइन किया गया है। इसका ‘ग्रेपल फिक्स्चर' आर्म के सिरे को बदल भी सकता है, जिसके बाद यह स्कूपिंग, लिफ्टिंग और स्वीपिंग मशीन की तरह भी काम कर सकता है। Gitai के चीफ एग्जीक्यूटिव नाकानोस ने कहा कि अंतरिक्ष में काम करने से अंतरिक्ष यात्रियों पर बड़ा खर्च आएगा और उन्हें खतरा भी होगा। ऐसे में ये रोबोट ही काम आएंगे।