कार मेकर टेस्ला (Tesla) साउथ कोरिया में चुनौती का सामना कर रही है। कोरिया फेयर ट्रेड कमीशन (KFTC) के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि साउथ कोरिया का एंटीट्रस्ट रेगुलेटर इस अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी की जांच कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि क्या कंपनी ने अपनी बैटरी के स्पेसिफिकेशंस को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। योनहाप (Yonhap) न्यूज एजेंसी ने बताया है कि KFTC ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर को एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कहा गया था कि उसने फेयर लेबलिंग और एडवरटाइजिंग एक्ट का उल्लंघन करते हुए मॉडल 3 (Model 3) समेत अपने कुछ मॉडलों के माइलेज को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था।
KFTC के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हम ऑटोमेकर के खिलाफ प्रतिबंधों के लेवल को तय करने के लिए जल्द एक मीटिंग करने की योजना बना रहे हैं। अपनी वेबसाइट में टेस्ला ने बताया है कि उसका Model 3 एक बार चार्ज करने पर 528 किलोमीटर (328 मील) की दूरी तय कर सकती है। लेकिन KFTC का कहना है कि अगर टेंपरेचर फ्रीजिंग पॉइंट से नीचे चला जाता है, तो यह लिमिट इससे कम हो सकती है।
विश्लेषकों का भी कहना है कि ठंड के मौसम में ज्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल की ड्राइविंग रेंज पर असर पड़ सकता है। टेस्ला ने इस मामले में फौरन कोई कमेंट नहीं किया है।
इलेक्ट्रिक कार मेकर ने हाल ही में अमेरिका में लगभग 5 लाख 79 हजार व्हीकल्स को रिकॉल किया है। इसकी वजह बूमबॉक्स फंक्शन है, जो पैदल चलने वाले लोगों के लिए परेशानी की वजह बन सकता है। नेशनल हाइवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, टेस्ला की कारों और SUV में मौजूद बूमबॉक्स फंक्शन की वजह से सुरक्षा मानकों का उल्लंघन होता है। यह कार के चलने के दौरान कम शोर करते हैं, जिससे पैदल यात्रियों को दिक्कत हो सकती है। अमेरिकी सेफ्टी रेगुलेटर्स द्वारा टेस्ला की जांच बढ़ाने के बाद से बीते दो हफ्तों में चौथी बार टेस्ला ने अपनी कारों को रिकॉल किया है।
टेस्ला भारत में भी अपनी कारों की बिक्री शुरू करना चाहती है, लेकिन भारत सरकार और कंपनी के बीच फाइनल सहमति नहीं बन पाई है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोग बता चुके हैं कि संभावित टैक्स बेनिफिट को लेकर टेस्ला और भारत के बीच गतिरोध है, क्योंकि सरकार लोकल लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग की प्रतिबद्धता टेस्ला से चाहती है। इसके बगैर वह कोई टैक्स बेनिफिट नहीं देना चाहती। टेस्ला अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भारत में इम्पोर्ट करके बेचने के लिए बेताब है। लगभग एक साल से कंपनी नई दिल्ली में अधिकारियों के आगे पैरवी कर रही है। कंपनी चाहती है कि गाड़ियों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को कम किया जाए, जिसे कंपनी के अरबपति CEO एलन मस्क दुनिया में सबसे ज्यादा बता चुके हैं।
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