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चीन की सेना और सरकार से जुड़ी है यूरोप में सिक्‍योरिटी स्‍कैनर लगाने वाली कंपनी

यह कंपनी 27 में से 26 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में अपनी डिवाइस इन्‍स्‍टॉल कर रही है।

चीन की सेना और सरकार से जुड़ी है यूरोप में सिक्‍योरिटी स्‍कैनर लगाने वाली कंपनी

Photo Credit: Unsplash/L. Fhilip C. Sousa

बहुत कम समय में यह कंपनी कार्गो और व्‍हीकल स्कैनर से रेवेन्‍यू जुटाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।

ख़ास बातें
  • बहुत कम समय में यह दुनिया की बड़ी कंपनियों में शामिल हो गई है
  • Nuctech कंपनी का जटिल ओनरशिप स्‍ट्रक्‍चर भी देशों की चिंंता बढ़ा रहा है
  • डर है कि इस कंपनी के जरिए चीन दूसरे देशों के डेटा तक पहुंच सकता है
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चीनी कंपनियों और वहां की सरकार के बीच सांठगांठ के कई मामले सामने आ चुके हैं। दुनियाभर के देश इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि चीनी कंपनियों की वजह से उनकी सिक्‍योरिटी पर असर ना पड़े। अथॉरिटीज ने दुनिया की कुछ सबसे संवेदनशील जगहों पर ऐसी सिक्‍योरिटी स्‍क्रीनिंग डिवाइस इन्‍स्‍टॉल की हैं, जिन्‍हें बनाने वाली कंपनी के चीनी सेना और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध बताए जाते हैं। दावोस का वर्ल्‍ड इकॉनमिक फोरम। यूरोप के सबसे बड़े बंदरगाह। एम्स्टर्डम से एथेंस तक के एयरपोर्ट्स। रूस के साथ लगने वाले नाटो बॉर्डर्स। ये सभी जगहें Nuctech द्वारा बनाए गए इक्विपमेंट पर निर्भर हैं। बहुत कम समय में यह कंपनी कार्गो और व्‍हीकल स्कैनर से रेवेन्‍यू जुटाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।

नेशनल सिक्‍योरिटी की वजह से Nuctech कई साल से अमेरिका से बाहर है, लेकिन इस कंपनी ने पूरे यूरोप में गहरी पैठ बना ली है। यह कंपनी 27 में से 26 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में अपनी डिवाइस इन्‍स्‍टॉल कर रही है। सरकार और कॉर्पोरेट रिकॉर्ड को एसोसिएटेड प्रेस ने रिव्‍यू किया है। 

Nuctech कंपनी के जटिल ओनरशिप स्‍ट्रक्‍चर और दुनियाभर में बढ़ रहे इसके दायरे ने तमाम देशों के लिए अलार्म बजा दिया है। पश्चिमी देशों के सिक्‍योरिटी ऑफ‍िशियल्‍स और पॉलिसी मेकर्स को डर है कि चीन तमाम देशों की सरकारों, कंपनियों और लोगों के पर्सनल डेटा तक अवैध पहुंच हासिल करने के लिए Nuctech डिवाइसेज का फायदा उठा सकता है।

चीन की कंपनियों पर अमेरिका की हमेशा नजर रहती है। हाल ही में बाइडन प्रशासन ने चीन की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा (Alibaba) के क्लाउड बिजनेस की समीक्षा का फैसला लिया था। बाइडन प्रशासन का मकसद यह जानना है कि अलीबाबा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं है। जांच का फोकस इस बात पर है कि कंपनी, पर्सनल इन्‍फर्मेशन समेत अमेरिकी कस्‍टमर्स के डेटा को कैसे स्टोर करती है। क्या चीन की सरकार तक वह पहुंच रहा है। जांच के बाद अमेरिकी रेगुलेटर्स अलीबाबा को यह निर्देश दे सकते हैं कि वह उसके क्‍लाउड बिजनेस से पैदा हुए जोखिमों को कम करने के उपाय करे। 

चीन खुद भी अपने देशों की कंपनियों पर नजर रखता है। कुछ समय पहले ही चीन की साइबर रेग्‍युलेटरी बॉडी ने मोबाइल ऐप्‍स को नियंत्रित करने वाले नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें उन ऐप्स के सिक्‍योरिटी रिव्‍यू की जरूरत बताई गई है, जिनके कामों से पब्‍लिक ओपिनियन प्रभावित हो सकते हैं। ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि पब्लिक को प्रभावित करने वाली ‘नई टेक्‍नॉलजी, ऐप और फंक्‍शंस' को लॉन्‍च करने से पहले ऐप प्रोवाइडर्स को सिक्‍योरिटी असेसमेंट की जरूरत होगी। 
 
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