ऐप के जरिए बाइक टैक्सी और ऑटोरिक्शा की सर्विस देने वाली Rapido ने महाराष्ट्र में सर्विस बंद करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महाराष्ट्र में Rapido के पास बाइक टैक्सी या ऑटोरिक्शा की सर्विस देने के लिए लाइसेंस नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने फर्म की याचिका पर 23 जनवरी को सुनवाई करने की सहमति दी है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस D Y Chandrachud के सामने इस याचिका को पेश करने पर उन्होंने 23 जनवरी को इसकी सुनवाई के लिए सहमति दी। सीनियर एडवोकेट Mukul Rohatgi ने इस मामले की जल्द सुनवाई करने का निवेदन किया था। उन्होंने कहा कि फर्म के पास हजारों वर्कर्स हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह Rapido को ऑपरेट करने वाली Roppen Transportation Services को महाराष्ट्र में तुरंत सर्विसेज बंद करने के लिए कहा था क्योंकि फर्म को राज्य सरकार से
लाइसेंस नहीं मिला है। Rapido को अपनी सर्विसेज 20 जनवरी तक बंद करनी हैं।
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे की एक बाइक टैक्सी फर्म को महाराष्ट्र सरकार से लाइसेंस लिए बिना सर्विसेज देने के लिए फटकार लगाई थी और उसे सर्विसेज तुरंत बंद करने का निर्देश दिया था। Roppen Transportation ने महाराष्ट्र सरकार से पिछले महीने एक कम्युनिकेशन मिलने के बाद हाई कोर्ट में अपील की थी। राज्य सरकार ने फर्म को बाइक टैक्सी सर्विसेज का लाइसेंस देने से मना कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि राज्य में बाइक टैक्सी के लिए लाइसेंस या किराया तय करने के लिए कोई पॉलिसी नहीं है।
इस बारे में हाई कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने बताया था कि राज्य में बाइक टैक्सी के लिए गाइडलाइंस बनाने की संभावना तलाशने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। ऐप के जरिए कैब सर्विसेज देने वाली ओला और उबर के खिलाफ भी इन सर्विसेज के लिए लाइसेंस नहीं होने का मुद्दा कुछ राज्यों में उठा था। हालांकि, बाद में यह मुद्दा सुलझा लिया गया था। पिछले वर्ष
केरल सरकार ने खुद की ई-टैक्सी सर्विस शुरू करने का फैसला किया था। इससे राज्य के लोगों के पास ओला और उबर के बजाए केरल सरकार की ई-टैक्सी सर्विस के जरिए यात्रा करने का विकल्प होगा। इस सर्विस की शुरुआत केरल के श्रम विभाग ने की है।