दुनिया के सबसे चर्चित और पॉपुलर वेब ब्राउजर्स में से एक ‘इंटरनेट एक्स्प्लोरर' (Internet Explorer) अब बंद होने जा रहा है। इसी हफ्ते 15 जून से माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) इसकी सर्विस को समाप्त कर देगी। कंपनी ने पिछले साल ही इसका ऐलान कर दिया था। साल 1995 में इंटरनेट एक्स्प्लोरर को लॉन्च किया गया था। एक वक्त में दुनिया में इसका दबदबा था। इसके इंटरफेस को लोगों ने काफी पसंद किया। यही वजह रही कि माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्स्प्लोरर के 11 वर्जन लॉन्च किए। बाद में गूगल क्रोम और मोजिला के रूप में लोगों को नए ऑप्शन मिले। दोनों ही काफी इस्तेमाल किए जाने लगे, जिसने इंटरनेट एक्स्प्लोरर को पीछे छोड़ दिया। इसे बेहतर बनाने के बजाए माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपने नए वेब ब्राउजर ‘माइक्रोसॉफ्ट ऐज' पर फोकस किया और अब इंटरनेट एक्स्प्लोरर विदा ले रहा है। आइए जानते हैं इसके सफर के बारे में और कुछ खास बातें-
- इंटरनेट एक्स्प्लोरर वेब ब्राउजर को सबसे पहले साल 1995 में ऐड-ऑन पैकेज प्लस के तौर पर विंडोज 95 के लिए रिलीज किया गया था।
- इंटरनेट एक्सप्लोरर प्रोजेक्ट को साल 1994 में थॉमस रियरडन ने शुरू किया था। इसकी शुरुआती टीम में सिर्फ 6 मेंबर थे।
- साल 1996 में Microsoft पर SyNet Inc ने मुकदमा किया था। दावा किया गया कि ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर' नाम के राइट्स उसके पास हैं। इस केस को निपटाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने 5 मिलियन डॉलर चुकाए थे।
- शुरुआत में इंटरनेट एक्स्प्लोरर के नए और अपडेटेड वर्जन तेजी से आए साल 1999 तक इसके 5 वर्जन आ चुके थे।
- साल 2000 के बाद इंटरनेट एक्स्प्लोर की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी। कहा जाता है कि साल 2003 में इसकी मार्केट हिस्सेदारी लगभग 95 फीसदी थी और उपयोगिता के मामले में यह अपने पीक पर पहुंच गया था।
- इंटरनेट एक्स्प्लोरर का आखिरी वर्जन 11 था। इसे अक्टूबर 2013 में रिलीज किया गया था। जनवरी 2015 में ‘माइक्रोसॉफ्ट ऐज' नाम से कंपनी ने नया वेब ब्राउजर पेश किया। अगले ही साल इंटरनेट एक्सप्लोरर के लिए नए फीचर डेवलपमेंट को बंद कर दिया गया। इसके बाद से ही यह माना जाने लगा कि आने वाले वर्षों में इंटरनेट एक्स्प्लोरर इतिहास बन जाएगा।
- कभी 95 फीसदी सिस्टम्स में इस्तेमाल होने वाला इंटरनेट एक्स्प्लोरर अब महज 0.38 फीसदी मार्केट शेयर पर सिमट गया है। वेब ब्राउजर्स की रैंक में इसकी 10वीं पोजिशन है।
- इंटरनेट एक्स्प्लोरर भले ही अब बंद होने जा रहा है, लेकिन 1990 के दशक के आखिर में माइक्रोसॉफ्ट ने इसके डेवलपमेंट पर सालाना 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। 6 लोगों की टीम से शुरुआत करने वाले इस प्रोजेक्ट में तब एक हजार लोग काम किया करते थे।
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