• होम
  • इंटरनेट
  • ख़बरें
  • जोशीमठ को हर साल 2.5 इंच निगल रही है जमीन! सैटेलाइट डेटा से खुलासा, जानें पूरा मामला

जोशीमठ को हर साल 2.5 इंच निगल रही है जमीन! सैटेलाइट डेटा से खुलासा, जानें पूरा मामला

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसने एक बड़े खतरे की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके की जमीन हर साल 2.5 इंच तक धंस रही है।

जोशीमठ को हर साल 2.5 इंच निगल रही है जमीन! सैटेलाइट डेटा से खुलासा, जानें पूरा मामला

Photo Credit: Rediff.com

जोशीमठ में जमीन धंसने के खतरे को देखते हुए 110 के लगभग परिवार अपने घर को छोड़कर जा चुके हैं।

ख़ास बातें
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग ने एक स्टडी जारी की है।
  • जोशीमठ और इसके आसपास के क्षेत्र की जमीन हर साल 2.5 इंच तक धंस रही है।
  • इंस्टीट्यूट ने 2 साल तक के आंकड़ों को लेकर यह स्टडी की है।
विज्ञापन
उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले कुछ महीनों से घरों में दरारें आने से लोग दहशत में आ गए हैं। यहां की जमीन लगातार धंस रही है। इसी संबंध में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग ने एक स्टडी जारी की है। यह स्टडी चौंकाने वाली बात बताती है। स्‍टडी के मुताबिक जोशीमठ और इसके आसपास के क्षेत्र की जमीन हर साल 2.5 इंच तक धंस रही है। इंस्टीट्यूट ने 2 साल तक के आंकड़ों को लेकर इस बारे में स्टडी की है और अब इसके बारे में अपनी रिपोर्ट जारी की है। 

अक्सर मौसम की तबाही झेलने वाले उत्तराखंड में इन दिनों लोग एक और खतरे के कारण दहशत में हैं। यहां के जोशीमठ में घरों और सड़कों में बड़ी बड़ी दरारें आने के बाद लोग खतरे के साए में हैं। अब यहां पर खतरे को भांपते हुए बड़ी बड़ी इमारतों और होटलों को भी ढहाए जाने का काम प्रशासन की ओर से शुरू कर दिया गया है, लेकिन उसका विरोध भी किया जा रहा है। हमारी सहयोगी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की ओर से एक स्टडी जारी की गई है जिसने एक बड़े खतरे की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके की जमीन हर साल 2.5 इंच तक धंस रही है। देहरादून स्थित इस इंस्टीट्यूट ने इस स्टडी के लिए सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया। इसने स्टडी में पाया कि यहां पर टेक्टॉनिक प्लेट्स में लगातार हलचल हो रही है और यहां स्थिति बहुत संवेदनशील बनी हुई है। 

जोशीमठ धार्मिक आस्था के लिहाज से प्रसिद्ध स्थल है। लेकिन पिछले कुछ समय से यहां घरों और सड़कों में बड़ी बड़ी दरारें पैदा हो गई हैं। इतना ही नहीं, कस्बे से 90 किलोमीटर नीचे एक और ऐसे ही छोटे कस्बे में भी ऐसे ही हालात देखने को मिल रहे हैं। वहीं, जोशीमठ के स्थानीय लोगों का कहना है कि नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) के तपोवन प्रोजेक्ट के कारण ये हालात पैदा हुए हैं। इस क्षेत्र की जुलाई 2020 से मार्च 2022 की सैटेलाइट तस्वीरों को बारीकी के जांचा गया है जिसके बाद पाया गया है कि यह पूरा क्षेत्र धीरे धीरे धंस रहा है। जोशीमठ ही नहीं, इसके आसपास के कई और इलाके भी इसी खतरे की चपेट में हैं। 

जोशीमठ में जमीन धंसने के खतरे को देखते हुए 110 के लगभग परिवार अपने घर को छोड़कर जा चुके हैं। प्रशासन का प्रयास इस पूरे कस्बे को खाली करवाने का है। लेकिन स्थानीय लोगों ने यहां बुल्डोजर चलाए जाने का विरोध करना शुरू कर दिया है जिसके बाद घरों को ढहाए जाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है। लोगों का कहना है कि ढहाए जाने के संबंध में उनको कोई भी पूर्व सूचना नहीं दी गई है। 

उत्तराखंड सरकार की ओर से जानकारी जारी की गई है कि होटल और कमर्शिअल इमारतों के अलावा 678 घर ऐसे हैं जिनके गिर जाने का खतरा है। यह खतरा केवल जोशीमठ तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में कर्णप्रयाग में 50 से ज्यादा घरों में इस तरह की दरारें आने का खबर सामने आई थी। कर्णप्रयाग जोशीमठ में प्रवेश करने से पहले पड़ने वाला छोटा कस्बा है। यहां के बहूगुना नगर में कई घरों में बड़ी बड़ी दरारें आने की खबर है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News
 
 

विज्ञापन

विज्ञापन

© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »