धोखाधड़ी करने वाली
वेबसाइटों पर सरकार का ऐक्शन हुआ है। केंद्र सरकार ने अवैध निवेश और पार्ट टाइम जॉब के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली 100 से ज्यादा वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार एक ऑफिशियल स्टेटमेंट में बताया गया है कि वेबसाइटों को विदेश में बैठे लोग ऑपरेट कर रहे थे। इन्वेस्टमेंट के नाम पर रिटायर्ड कर्मचारियों, महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा था, जबकि पार्ट टाइम जॉब के नाम पर बेरोजगार युवाओं से ठगी हो रही थी। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने पिछले साल ऐसी वेबसाइटों की पहचान करते हुए उन्हें ब्लॉक करने की सिफारिश की थी।
I4C की सिफारिश के आधार पर आईटी मिनिस्ट्री ने आईटी ऐक्ट-2000 के तहत 100 से ज्यादा वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है। इन वेबसाइटों का मकसद देश को लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाना था। विदेशों से वेबसाइटों को ऑपरेट किया जा रहा था। धोखाधड़ी की गई रकम को क्रिप्टो करेंसी, कार्ड आदि से हासिल किया जा रहा था। इंटरनेशनल फिनटेक कंपनियों का इस्तेमाल भी इस काम में हो रहा था।
केंद्र की ओर से कहा गया है कि ठग जिन फोन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए उन तक पहुंचाना चाह रहे हैं, वह डिटेल नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल को दें। यह भी बताया गया है कि 1930 नंबर वाली हेल्पलाइन पर कई शिकायतें मिली हैं। इस तरह के क्राइम से लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है, इसलिए जल्द से जल्द इसकी सूचना संबंधित अथॉरिटी तक पहुंचनी चाहिए।
इस तरह से होती है धोखाधड़ी
रिपोर्ट के अनुसार, विदेश से ऑपरेट कर रहे लोग गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म्स पर अलग-अलग भाषाओं में डिजिटल ऐड देते हैं। वह ‘जॉब फ्रॉम होम' और ‘हाउ टु अर्न फ्रॉम होम' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। ऐड पर क्लिक करते ही वेबसाइटों का एजेंट यूजर्स से बात शुरू कर देता है। वह यूजर से वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर कॉन्टैक्ट करते हैं।
क्या काम कराए जाते हैं लोगों से
पार्ट टाइम जॉब के नाम पर लोगों से वीडियोज को लाइक करने, सब्सक्राइब करने को कहा जाता है। रेटिंग वगैरह दिलवाई जाती हैं। इसके बदले कमीशन मिलता है। शुरुआत में कमीशन देकर भरोसा जीता जाता है और फिर उसी कमीशन को इन्वेस्ट करने को कहा जाता है। जब शख्स बड़ी रकम इन्वेस्ट करता है तो उसे जब्त कर लिया जाता है।
आपके काम आएगी यह सलाह
एक्सपर्ट की मानें, तो इंटरनेट में दिखाई देने वालीं इन्वेस्टमेंट स्कीम्स में निवेश करने से पहले उसकी पड़ताल कर लें। अगर आपसे कोई वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर कॉन्टैक्ट करता है तो उसके साथ पैसों का कोई लेन-देन ना करें। आप यूपीआई ऐप्स पर भी सामने वाले का नाम वेरिफाई कर सकते हैं।