कार टेस्टिंग का हब बन सकता है भारत, केंद्र सरकार ने हटाई 252 प्रतिशत कस्टम्स ड्यूटी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कार टेस्टिंग पर कस्टम्स ड्यूटी को एक अप्रैल से शून्य करने की घोषणा की थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 6 फरवरी 2023 18:01 IST
ख़ास बातें
  • कार टेस्टिंग के ग्लोबल बिजनेस में भारत की स्थिति मजबूत होने सकती है
  • देश के कुल GDP में ऑटोमोबाइल सेक्टर की हिस्सेदारी 7.1 प्रतिशत की है
  • इस सेक्टर में 2021 के अंत तक लगभग 3.7 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है

दुनिया में केवल पांच देशों में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स की कार सेफ्टी टेस्ट सुविधाएं हैं

भारत जल्द ही कार टेस्टिंग का हब बन सकता है। केंद्र सरकार ने देश में क्रैश टेस्टिंग के लिए इम्पोर्ट किए जाने वाले व्हीकल्स पर 252 प्रतिशत की कस्टम्स ड्यूटी हटा दी है। इससे कार टेस्टिंग के ग्लोबल बिजनेस में भारत की स्थिति मजबूत होने की संभावना है। इससे पहले किसी विदेश कार मैन्युफैक्चरर को भारत में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के अनुसार सेफ्टी टेस्टिंग के लिए अपने व्हीकल को भेजने पर 252 प्रतिशत की कस्टम्स ड्यूटी चुकानी पड़ती थी। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कार टेस्टिंग पर कस्टम्स ड्यूटी को एक अप्रैल से शून्य करने की घोषणा की थी। भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पांडे ने बताया, "टेस्टिंग के लिए व्हीकल्स के इम्पोर्ट पर कस्टम्स ड्यूटी बहुत अधिक थी। यह व्हीकल की डिक्लेयर्ड वैल्यू पर 252 प्रतिशत की थी। इसमें बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी, फ्रेट और इंश्योरेंस चार्ज शामिल थे। इससे कार टेस्टिंग एजेंसियों के लिए विदेशी कंपनियों से इस बिजनेस में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता था।" उन्होंने कहा कि दुनिया में केवल पांच देशों में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स की कार सेफ्टी टेस्ट सुविधाएं हैं। भारत अब जर्मनी, जापान, चीन, ताइवान और ब्रिटेन के साथ ग्लोबल कार टेस्टिंग सेंटर बन गया है। 

ग्लोबल कार सेफ्टी टेस्टिंग में भारत के लिए अवसर बढ़ गए हैं। दक्षिण कोरिया, ईरान और मलेशिया जैसे बहुत से देशों ने कार टेस्टिंग में दिलचस्पी दिखाई है। देश के कुल GDP में ऑटोमोबाइल सेक्टर की हिस्सेदारी 7.1 प्रतिशत और मैन्युफैक्चरिंग GDP में लगभग 49 प्रतिशत की है। इस सेक्टर में 2021 के अंत तक लगभग 3.7 करोड़ लोगों को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार मिला था। EV सेगमेंट में टाटा मोटर्स सबसे बड़ी कंपनी है। पिछले वर्ष के अंत में Tata Motors ने 50,000 इलेक्ट्रिक कारों की डिलीवरी की उपलब्धि हासिल की थी। 

देश में EV की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। कार्बन इमिशन को कम करने और फ्यूल के इम्पोर्ट को घटाने के लिए केंद्र सरकार ने EV को बढ़ावा देने के उपाय किए हैं। बहुत सी राज्य सरकारें भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीदारी पर लोगों को सब्सिडी दे रही हैं। हाल ही में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया थआ कि ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ने में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। देश का EV मार्केट 2022 से 2030 के बीच लगभग 49 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है। 
 
 

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