आज मशहूर भारतीय कवयित्री बालमणि अम्मा की 113वीं जयंती है। इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हुए गूगल ने मंगलवार को कवयित्री बालमणि अम्मा को समर्पित एक विशेष डूडल बनाया है। अम्मा को मलयालम कविता की 'अम्मा' (माँ) और 'मुथस्सी' (दादी) के तौर पर जाना जाता है।
बालमणि अम्मा का जन्म केरल के त्रिशूर जिले में 1909 में हुआ था। अम्मा की पहली कविता कोप्पुकाई, 1930 में प्रकाशित की गई थी। बालमणि अम्मा के नाम पर कविता, गद्य और अनुवाद के 20 से ज्यादा संकलन प्रकाशित किए गए हैं। अम्मा को 1987 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार, 1965 में मुथासी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1995 में निवेद्यम के लिए सरस्वती सम्मान आदि जैसे विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानितत किया गया था।
उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में अम्मा, मज़ुविंते कथा (द स्टोरी ऑफ द एक्स) और संध्या शामिल थीं। अम्मा ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं की थी और वह अपने मामा और उनके पुस्तकालय से बहुत प्रभावित थीं। उन्होंने अनुवाद समेत अन्य साहित्यिक कार्यों के साथ कविताओं के 20 से ज्यादा एंथोलॉजी प्रकाशित किए।
अम्मा से प्रभावितों में वल्लथोल नारायण मेनन, आधुनिक मलयालम के विजयी कवियों में से एक और नलपत नारायण मेनन शामिल हैं। उसने बाद के लिए एक शोकगीत लोकंतरंगलिल लिखा। अम्मा ने मलयालम कवियों की बाद की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा के तौर पर काम किया है, जिसका एक प्रमुख उदाहरण अक्किथम अच्युतन नंबूथिरी है। कोच्चि इंटरनेशनल बुक फेयर उनके नाम पर लेखकों के लिए बालमणि अम्मा अवार्ड के नाम का नकद पुरस्कार देता है। उनकी बेटी कमला दास एक प्रसिद्ध लेखिका भी हैं। दास की आत्मकथा एंटे कथा (माई स्टोरी) 20वीं सदी के भारतीय साहित्य में सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।
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