Artificial Rain in delhi : दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी समेत एनसीआर के तमाम इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) ‘खतरनाक' लेवल पर बना हुआ है। दिल्ली के स्कूलों को बंद कर दिया गया है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अब सरकार राजधानी में ‘कृत्रिम बारिश' कराने की योजना बना रही है। दिवाली के बाद ‘क्लाउड सीडिंग' के जरिए ‘आर्टिफिशियल रेन' की प्लानिंग है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘क्लाउड सीडिंग' की कोशिश तभी की जा सकती है, जब वातावरण में नमी या बादल हों।
गोपाल राय ने कहा, एक्सपर्ट का अनुमान है कि 20-21 नवंबर के आसपास ऐसे हालात बन सकते हैं, जब दिल्ली के वातावरण में नमी या बादल हो सकते हैं। राय के अनुसार, उन्होंने वैज्ञानिकों से बृहस्पतिवार तक एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा।
क्या होती है कृत्रिम बारिश
कृत्रिम बारिश कराने के लिए ‘क्लाउड सीडिंग' की मदद ली जाती है। इसमें संघनन (condensation) को बढ़ाने के लिए तमाम पदार्थों को हवा में फैलाया जाता है। इससे बारिश होती है। जिन पदार्थों को ‘क्लाउड सीडिंग' में इस्तेमाल किया जाता है, उनमें सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) शामिल हैं। इस तकनीक को दुनिया के कई देशों में इस्तेमाल कियाा गया है। अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) क्लाउड सीडिंग को यूज कर चुके हैं। सूखे से निपटने के लिए भी क्लाउड सीडिंग की जाती है।
ऐसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘क्लाउड सीडिंग' के घोल को हवाई जहाज की मदद से आसमान में हवा की उल्टी दिशा में छिड़का जाता है। घोल में मौजूद कण आसमान में पहुंचकर जम जाते हैं। इसके बाद बारिश होती है।
केंद्र और राज्य से लेनी होगी मंजूरी
रिपोर्ट के अनुसार, गोपाल राय ने कहा है कि इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से मंजूरी लेना समय के हिसाब से संवेदनशील मामला है। आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों ने इसी साल गोपाल राय और उनकी टीम को कृत्रिम बारिश पर एक प्रेजेंटेशन दी थी।