पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट के जरिए अपराध के मामलों में तेजी आई है। पिछले वर्ष देश में इस तरह के मामलों की संख्या लगभग पांच प्रतिशत बढ़ी है। हालांकि, इनमें से केवल एक-तिहाई मामलों में ही चार्जशीट दाखिल की गई है। सायबरक्राइम के अधिकतर मामले फ्रॉड से जुड़े थे।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के डेटा से पता चलता है कि पिछले वर्ष सायबरक्राइम के 52,974 मामलों की रिपोर्ट मिली थी। इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक असम, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से थे। हालांकि, इनमें से ककेवल 33.8 प्रतिशत मामलों में
चार्जशीट दाखिल की गई है। पिछले वर्ष सायबरक्राइम के कुल मामलों में से 60.8 प्रतिशत का कारण फ्रॉड था। वसूली और यौन उत्पीड़न के मामले क्रमशः 5.4 प्रतिशत और लगभग 8.6 प्रतिशत थे। तेलंगाना में इस तरह के मामलों की संख्या 10,303 के साथ सबसे अधिक थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 8,829, कर्नाटक में 8,136 और महाराष्ट्र में 5,662 सायबरप्राइम के मामले दर्ज किए गए।
सायबर आंतकवाद के मामलों की संख्या पिछले वर्ष 15 थी, जबकि रैंसमवेयर के 648 मामलों की रिपोर्ट मिली। सायबरक्राइम के मामलों में 24,000 से अधिक वेष बदलने, पहचान की चोरी और आपत्तिजनक सामग्री पब्लिश करने के थे। अमेरिका जैसे कुछ अन्य देशों में भी सायबर और क्रिप्टो से जुड़े अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। क्रिप्टो स्कैमर्स अब ठगी के लिए LinkedIn को भी जरिया बना रहे हैं। अमेरिका की इनवेस्टिगेशन एजेंसी FBI ने यह जानकारी दी है। क्रिप्टो स्कैमर्स प्रोफेशनल फाइनेंशियल एडवाइजर्स के तौर पर खुद को पेश कर LinkedIn यूजर्स से संपर्क कर रहे हैं। इन यूजर्स को स्कैम वाली स्कीम्स की पेशकश की जा रही है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में FBI के स्पेशल एजेंट Sean Ragan के हवाले से बताया गया था कि कुछ यूजर्स को क्रिप्टो
स्कैम्स के कारण 2 लाख डॉलर से लेकर 16 लाख डॉलर तक का नुकसान हुआ है। Ragan ने कहा था, "इस प्रकार की ठगी पर रोक लगाना जरूरी है क्योंकि इसके बहुत से शिकार हो सकते हैं। बहुत से लोगों को इससे नुकसान हो चुका है। Twitter पर भी स्कैमर्स बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसीज में ट्रेडिंग करने वालों को निशाना बना रहे हैं। स्कैमर्स शिकार को फंसाने के लिए नकली वेबसाइट्स, हैक्ड एकाउंट्स का इस्तेमाल कर जाली प्रोजेक्ट्स और एयरड्रॉप्स के लालच दे रहे हैं।