लग्जरी कार ब्रैंड बेंटले (Bentley) ने बुधवार को कहा कि उसका पहला ऑल-इलेक्ट्रिक व्हीकल साल 2025 तक तैयार हो जाएगा। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस ब्रैंड ने पूरी तरह से कार्बन जीरो बनने के लिए अपने बड़े निवेश का भी खुलासा किया। एक बयान में बेंटले ने कहा कि बैटरी से चलने वाला उसका पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी की क्रेवे (Crewe) स्थित फैक्ट्री में डेवलप और तैयार किया जाएगा। क्रेवे, नॉर्थवेस्ट इंग्लैंड में है, जहां करीब 4 हजार कर्मचारी हैं। बेंटले का मालिकाना हक वोक्सवैगन (Volkswagen) के पास है।
बेंटले ने कहा है कि ‘सस्टेनेबिलिटी पर अगले 10 साल में' वह लगभग 25,125 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। बेंटले के चीफ एग्जीक्यूटिव और चेयरमैन एड्रियन हॉलमार्क ने कहा कि हमारे पूरे बिजनेस की कार्बन न्यूट्रैलिटी के लिए यह एक महत्वाकांक्षी और विश्वसनीय रोडमैप है।
बेंटले का पैरंट ग्रुप वोक्सवैगन जिसके ऑडी, पोर्श और स्कोडा समेत 12 ब्रैंड हैं, वह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए 35 बिलियन यूरो (लगभग 2,92,400 करोड़ रुपये) पंप कर रहा है। कंपनी का लक्ष्य साल 2025 तक दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार मेकर बनना है।
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का क्रेज और मांग बढ़ती जा रही है। भारत में भी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों का रुख कर रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली बार इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने वाले लोग गैसोलीन पर चलने वाली कारों में स्विच करने को लेकर अनिच्छुक थे। JD Power की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
लोगों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका में EV की बिक्री इस महीने की शुरुआत में 4 लाख 34 हजार 879 नई यूनिट्स के साथ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई।
हाल ही में FedEx एक्सप्रेस ने पार्सल डिलिवरी के काम के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल करने की योजना का ऐलान किया है। कंपनी ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) का ट्रायल शुरू करने की घोषणा की है। इसका लक्ष्य साल 2040 तक कार्बन न्यूट्रल ऑपरेशंस हासिल करना है। इलेक्ट्रिक व्हीकल का ट्रायल बैंगलोर में अगले एक महीने में पूरा होने की उम्मीद है। FedEx एक्सप्रेस के इंडिया ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट मोहम्मद सईघ ने कहा कि FedEx का मिशन दुनिया को जोड़ने का है। हम भारत में ई-कॉमर्स की ग्रोथ के साथ ऐसे तरीके तलाश रहे हैं, जो पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को कम करते हैं।