एमेजॉन (Amazon) कथित तौर पर भारत में अपनी सैटेलाइट बेस्ड
इंटरनेट सर्विस ‘प्रोजेक्ट कुइपर' (Project Kuiper) को लॉन्च करने की दिशा में काम कर रही है। देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस को पहुंचाने के लिए कंपनी ने विभिन्न सरकारी विभागों में लाइसेंस के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को शुरू किया है। इस सर्विस का मकसद ग्रामीण और सुदूर इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाना है। कंपनी की तैयारी आने वाले वर्षों में करीब 3,236 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की है। इन्हीं सैटेलाइट्स के जरिए देश के कोने-कोने में इंटरनेट पहुंचाया जाएगा।
इकनॉमिक टाइम्स की
रिपोर्ट है कि एमेजॉन ने भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज को लॉन्च करने के लिए इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) में आवेदन किया है। आवेदन मंजूर होता है तो एमेजॉन को रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाएगा। प्रोजेक्ट कुइपर को भारत में लॉन्च करने के लिए एमेजॉन को दूरसंचार विभाग (DoT) से ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन (GMPCS) लाइसेंस की भी जरूरत होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, एमेजॉन कथित तौर पर 1 जीबीपीएस तक की स्पीड के साथ इंटरनेट की पेशकश करेगी। कहा जाता है कि उसका ‘किफायती ब्रॉडबैंड' पूरे देश में उपलब्ध होगा। यह उन इलाकों तक भी पहुंचेगा जहां अभी इंटरनेट की सुविधा नहीं है।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, प्रोजेक्ट कुइपर का लक्ष्य 3,236 LEO सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट पहुंचाना है। हालांकि अभी ये सैटेलाइट्स लॉन्च होने बाकी हैं। साल 2026 तक इनमें से आधे सैटेलाइट्स को लॉन्च किया जा सकता है। ब्रॉडब्रैंड इंटरनेट सर्विस शुरू होने से एमेजॉन की ई-कॉमर्स सर्विस और प्राइम वीडियो सर्विस को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
एमेजॉन पहली कंपनी नहीं है, जो देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को शुरू करना चाहती है। एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्टारलिंक भी इस कोशिश में है। उसने कुछ साल पहले सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए प्री-बुकिंग शुरू कर दी थी, लेकिन बाद में ग्राहकों को उनका पैसा लौटा दिया गया। वहीं, वनवेब और जियो सैटेलाइट को सरकार से GMPCS लाइसेंस मिल चुका है।
एमेजॉन की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की कॉस्ट क्या होगी, लोगों को इस सुविधा के लिए कितने पैसे खर्च करने होंगे, इस बारे में कंपनी ने कुछ नहीं बताया है।