दूरसंचार सचिव के राजारमन (K Rajaraman) ने दूरसंचार अनुसंधान और विकास संगठन (C-Dot) को ग्लोबल मार्केट के साथ कदम मिला कर चलते हुए 6G और अन्य आधुनिक टेक्नोलॉजी पर काम शुरू करने के लिए कहा है। एक मीटिंग के दौरान उन्होंने कहा कि C-Dot को उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर नज़र रखनी चाहिए और समय पर उन टेक्नोलॉजी को भारत में भी विकसित करने पर ज़ोर देना चाहिए। बता दें कि चीन और अमेरिका कई टेक्नोलॉजी दिग्गजों के साथ मिलकर अपने देश में सबसे पहले 6G टेक्नोलॉजी लाने की रेस में लगे हैं। Huawei, Samsung, LG समेत कई कंपनियां इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं।
C-Dot ने एक
प्रेस रिलीज़ जारी कर जानकारी दी है कि दूरसंचार सचिव ने सरकारी दूरसंचार अनुसंधान और विकास संगठन से 6G टेक्नोलॉजी पर काम शुरू करने के लिए कहा है। के राजारमन चाहते हैं कि भारत भी ग्लोबल मार्केट की तरह लेटेस्ट और आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। रिलीज़ के अनुसार, "उन्होंने सी-डॉट को उभरती प्रौद्योगिकियों पर नजर रखने, प्रौद्योगिकी जीवन चक्र के साथ चलने पर जोर दिया और सी-डॉट को आने वाले समय के बाजार को पकड़ने के लिए 6जी और भविष्य की अन्य प्रौद्योगिकियों पर काम शुरू करने के लिए कहा। उन्होंने सी-डॉट को प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण पर ध्यान केंद्रित करने और तीव्र प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण के लिए सी-डॉट में इनक्यूबेटर स्थापित करने पर विचार करने की सलाह भी दी। सी-डॉट को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों में योगदान देने के साथ-साथ अधिक आईपीआर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा गया है।"
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि सैमसंग, हुवावे और कुछ अन्य कंपनियां तेज़ी से 6G तकनीक पर काम कर रही है। पिछले महीने एक
रिपोर्ट सामने आई थी कि चीनी टेक दिग्गज Huawei के सीईओ और संस्थापक, Ren Zhengfei ने अपने कर्मचारियों को इस टेक्नोलॉजी को जल्द विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए कहा है।
वहीं, दूसरी ओर LG ने 13 अगस्त को बर्लिन में
6G का सफल टेस्ट कर यह दिखा दिया है कि कंपनी इस दिशा में काफी आगे पहुंच गई है। कंपनी ने बाहरी वातावरण में 100 मीटर की दूरी पर सफलतापूर्वक डेटा ट्रांस्फर करके दिखाया है। कंपनी ने फ्रौनहोफर-गेसेलशाफ्ट के साथ मिलकर खास पावर एम्पलीफायर विकसित किया है, जो टेराहर्ट्ज स्पेक्ट्रम पर स्टेबल 6G सिग्नल देने में मदद करता है। यह एंप्लीफायर 155-175GHz बैंड में स्टेबल संचार प्राप्त करने के लिए 15-डेसीबल मिलीवाट का अधिकतम आउटपुट सिग्नल दे सकता है। कंपनी का कहना है कि 2025 के लिए वैश्विक मानकीकरण और उसके बाद चार सालों के भीतर व्यावसायीकरण के साथ, 6G नेटवर्क कम विलंबता के साथ फास्ट वायरलेस ट्रांसमिशन और कम्युनिकेशन स्पीड को सपोर्ट करने में सक्षम होंगे।
हालांकि, इस समय भारत में टेलिकॉम कंपनियां 5G का ट्रायल कर रही हैं, जिसके लिए उम्मीद जताई जा रही है कि यह टेक्नोलॉजी अगले साल तक भारत में शुरू हो सकती है।