अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर Tesla जल्द देश में बिजनेस शुरू कर सकती है। केंद्र सरकार 30 लाख रुपये से अधिक के प्राइस वाली इलेक्ट्रिक कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में दो से तीन वर्ष के लिए छूट देने पर विचार कर रही है। देश में 40,000 डॉलर से अधिक की कारों पर इम्पोर्ट टैक्स 100 प्रतिशत का है। इससे कम प्राइस वाली कारों पर 60 प्रतिशत इम्पोर्ट टैक्स लगता है।
एक मीडिया
रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि टेस्ला को EV बनाने की फैक्टरी लगाने के लिए कम इम्पोर्ट टैक्स की पेशकश की जा सकती है। हाल ही में टेस्ला ने संकेत दिया था कि अगर सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक कारों के इम्पोर्ट पर टैक्स को घटाकर 15 प्रतिशत किया जाता है तो वह दो अरब डॉलर तक का इनवेस्टमेंट कर सकती है। सरकार चाहती है कि विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियां देश में व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग करें। इससे EV के प्राइसेज में कमी होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां
EV के इम्पोर्ट पर टैक्स में छूट देने का विरोध कर रही हैं। टेस्ला भी अन्य देशों में चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों पर टैक्स बढ़ाने की मांग कर रही है। हाल ही में कंपनी के CEO, Elon Musk ने कहा था कि अगर चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों पर ट्रेड से जुड़ी बंदिशें नहीं लगाई गई तो वे ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए खतरा बन सकती हैं। टेस्ला को चीन की BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है।
मशहूर इनवेस्टर Warren Buffett की फंडिंग वाली BYD अपनी कम प्राइस वाली इलेक्ट्रिक कारों के दम पर पिछले तिमाही में टेस्ला को पीछे छोड़कर सबसे अधिक EV बेचने वाली कंपनी बन गई थी। टेस्ला ने पिछले वर्ष अपनी इलेक्ट्रिक कारों के प्राइसेज में कटौती की थी लेकिन इसके बावजूद वह बिक्री में BYD से पीछे रह गई। इसके अलावा टेस्ला के मार्जिन पर भी बड़ा असर पड़ा है। मस्क ने बताया था कि चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियां कड़ी टक्कर दे रही हैं और अगर इन पर टैरिफ नहीं लगाए गए तो ये चीन से बाहर बड़ी सफलता हासिल कर सकती हैं। इनका मुकाबला करने के लिए टेस्ला एक कम प्राइस वाली कॉम्पैक्ट क्रॉसओवर बनाने की तैयारी कर रही है।