टाटा ग्रुप ने टेस्ला से हाथ मिलाया, कंपोनेंट्स और सर्विसेज के लिए हुआ एग्रीमेंट

पिछले महीने प्रधानमंत्री Narendra Modi के अमेरिका दौरे के दौरान टेस्ला के प्रमुख Elon Musk ने उनके साथ मीटिंग की थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 26 मार्च 2025 22:50 IST
ख़ास बातें
  • टाटा ग्रुप की कई कंपनियां टेस्ला की सप्लाई चेन का हिस्सा होंगी
  • भारत में भी टेस्ला की जल्द बिजनेस शुरू करने की तैयारी है
  • शुरुआत में यह जर्मनी के बर्लिन में फैक्टरी से EV को इम्पोर्ट कर सकती है

देश में कंपनी अपने सप्लायर्स का बेस तैयार कर रही है


बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनियों में शामिल Tesla और टाटा ग्रुप की कंपनियों के बीच कंपोनेंट्स और सर्विसेज की सप्लाई के लिए इंटरनेशनल एग्रीमेंट हुआ है। इसके तहत, टाटा ग्रुप की कई कंपनियां अमेरिका की टेस्ला की सप्लाई चेन का हिस्सा होंगी। भारत में भी टेस्ला की जल्द बिजनेस शुरू करने की तैयारी है। 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस एग्रीमेंट में Tata Group की Tata Consultancy Services, Tata Technologies, Tata AutoComp और Tata Electronics शामिल हैं। टेस्ला को ये कंपनियां सर्विसेज और कंपोनेंट्स उपलब्ध कराएंगी। बिलिनेयर Elon Musk की इस कंपनी ने भारतीय सप्लायर्स के साथ बातचीत शुरू की है। इस रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया है कि देश में टेस्ला अपने सप्लायर्स का बेस तैयार कर रही है। हालांकि, इस कंपनी ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग की योजना की पुष्टि नहीं की है। EV की फैक्टरी लगाने के लिए यह गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के साथ बातचीत कर रही है। 

भारत में कंपनी का पहला शोरूम मुंबई के ब्रांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में खुल सकता है। कंपनी ने BKC की Maker Maxity बिल्डिंग में लगभग 4,000 स्क्वेयर फुट का स्पेस लीज पर लिया है। इसके लिए लगभग 2.11 करोड़ रुपये का सिक्योरिटीज डिपॉजिट दिया गया है। इस स्पेस का किराया 35.26 लाख रुपये प्रति माह का होगा। इस वर्ष की दूसरी छमाही में देश में टेस्ला बिजनेस शुरू कर सकती है। पिछले महीने प्रधानमंत्री Narendra Modi के अमेरिका दौरे के दौरान टेस्ला के प्रमुख Elon Musk ने उनके साथ मीटिंग की थी। शुरुआत में कंपनी जर्मनी के बर्लिन में अपनी फैक्टरी से EV को इम्पोर्ट कर सकती है। 

देश में EV की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार नई पॉलिसी पर कार्य कर रही है। पिछले वर्ष मार्च में सरकार ने विशेष शर्तों के साथ EV के इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 15 प्रतिशत किया था। नई EV पॉलिसी में कार मेकर्स के लिए कारोबार शुरू करने के दूसरे वर्ष के अंदर टर्नओवर को 2,500 करोड़ रुपये पर पहुंचाने की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही सरकार इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट को बढ़ा सकती है। पिछले वर्ष पेश की गई पॉलिसी में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट करने की जरूरत थी। इसमें मैन्युफैक्चरिंग को तीन वर्षों के अंदर शरू किया जाना था। नई EV पॉलिसी की घोषणा जल्द की जा सकती है। 
 
 

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