ओला इलेक्ट्रिक की बढ़ी मुश्किल, कस्टमर्स की शिकायतों पर CCPA ने दोबारा मांगी जानकारी

इससे पहले ओला इलेक्ट्रिक को मार्केट्स रेगुलेटर ने डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर चेतावनी दी थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 11 जनवरी 2025 16:17 IST
ख़ास बातें
  • पिछले महीने भी CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक को पत्र भेजकर यह जानकारी मांगी थी
  • हाल ही में SEBI भी ने कंपनी को चेतावनी दी थी
  • पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री बढ़ी है

CCPA की ओर से कंपनी को दिए नोटिस को हाई कोर्ट ने खारिज करने से मना कर दिया था

बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल Ola Electric को सर्विस में कमियों को लेकर कस्टमर्स की बड़ी संख्या में शिकायतों के कारण मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने कंपनी से दोबारा इस बारे में जानकारी मांगी है। 

पिछले महीने भी CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक को पत्र भेजकर यह जानकारी मांगी थी। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को एक फाइलिंग में यह सूचना दी है। हालांकि, इसके साथ ही यह बताया है कि इसका ओला इलेक्ट्रिक पर कोई वित्तीय असर नहीं होगा। कर्नाटक हाई कोर्ट ने CCPA के पिछले पत्र का उत्तर देने के लिए कंपनी को छह सप्ताह की समयसीमा दी थी। 

इससे पहले ओला इलेक्ट्रिक को मार्केट्स रेगुलेटर ने डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर चेतावनी दी थी। कंपनी के चीफ, Bhavish Aggarwal के महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में स्टॉक एक्सचेंज को फाइलिंग से पहले सोशल मीडिया पर घोषणा करने की वजह से यह चेतावनी दी गई थी। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कंपनी को प्रशासनिक चेतावनी से जुड़ी एक ईमेल भेजी थी।  ओला इलेक्ट्रिक को कर्नाटक हाई कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा था। CCPA की ओर से जारी किए गए एक नोटिस को हाई कोर्ट ने खारिज करने से मना कर दिया था। यह नोटिस कंपनी के खिलाफ जांच के हिस्से के तौर पर दिया गया था। इसमें ओला इलेक्ट्रिक के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को लेकर कस्टमर्स की 10,000 से अधिक शिकायतों के बाद अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए थे। 

हाई कोर्ट नेकहा था कि यह नोटिस एक सक्षम जांच अधिकारी की ओर से जारी किया गया है और कंपनी को मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतों की शुरुआती जांच की थी। इसमें कस्टमर्स के अधिकारों का उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और सर्विस में कमियों से जुड़े उल्लंघन पाए गए थे। इसके बाद CCPA ने अपने डायरेक्टर जनरल ऑफ इनवेस्टिगेशन को इसकी जांच करने का निर्देश दिया था। कंपनी की दलील थी कि नोटिस को जारी करने वाले अधिकारी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत अधिकृत नहीं हैं। कंपनी ने कहा था कि नोटिस जारी करने वाले अधिकारी के पास डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर का पद नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डायरेक्टर जनरल ने सीनियर डायरेक्टर के पद वाले अधिकारी को जांच करने के लिए अधिकृत किया है। 
 

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