SAMAR 2 Air Defence System : दुनियाभर के क्षेत्रों में तनाव चरम पर है। रूस-यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा है। इस्राइल, गाजा के बाद अब ईरान से जंग लड़ने के कगार पर है। भारत के संदर्भ में हम पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों से घिरे हैं। हालात से निपटने के लिए कई स्तरों पर रक्षा तैयारियां की जा रही हैं। इसी की एक बानगी है SAMAR 2 एयर डिफेंस सिस्टम। इसका पूरा नाम है- सर्फेस टु एयर मिसाइल फॉर अश्योर्ड रिटैलिएशन। आसान भाषा में समझाएं तो यह भारत का देसी एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे टेस्ट करने की तैयारी की जा रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स ने इंडियन एयरफोर्स के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि SAMAR 2 को जल्द टेस्ट किए जाने की तैयारी है। इसकी रेंज यानी मारक क्षमता लगभग 30 किलोमीटर है। रिपोर्ट के अनुसार, नाम न बताने की शर्त पर अधिकारियों में से एक ने कहा कि पहला फायरिंग ट्रायल दिसंबर तक किया जाएगा। एयरफोर्स ने दो इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ मिलकर इस एयर डिफेंस सिस्टम को डेवलप किया है।
खास बात है कि SAMAR 2 से पहले SAMAR 1 को तैयार किया जा चुका है। यह इंडियन एयरफोर्स को अपनी सेवाएं दे रहा है। SAMAR 1 की रेंज 8 किलोमीटर है।
क्या खास है SAMAR सिस्टम में?
SAMAR डिफेंस सिस्टम में रूसी मूल की मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है। रूस की जो मिसाइलें हवा से हवा में मार करने के लिए बनाई गई हैं, उन्हें SAMAR सिस्टम में इस तरह इस्तेमाल किया जाता है कि सतह से मार करके हवा में टार्गेट्स को तबाह किया जा सके। SAMAR 1 सिस्टम में R-73E मिसाइल यूज होती हैं, जबकि SAMAR 2 में R-27 मिसाइल का उपयोग किया जाएगा।
SAMAR 2 सिस्टम में उन एयर टु एयर मिसाइलों को आमतौर इस्तेमाल किया जाना है, जो अपनी शेल्फ लाइफ से बाहर आ चुकी हैं और हवा से हवा में मार करने के लिए सेफ नहीं हैं। उन्हें सर्फेस टु एयर में दागकर इस्तेमाल में लाया जाएगा।
किन खतरों से निपट सकता है SAMAR?
दुश्मन के फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर्स और यूएवी समेत कई तरह के हवाई हथियारों को समर-2 एयर डिफेंस सिस्टम तबाह करने की काबिलियत रखता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एयरफोर्स के 7 बेस रिपेयर डिपो (BRD) तुगलकाबाद ने समर सिस्टम को डेवलप करने में खास भूमिका निभाई। टीम ने R-27 मिसाइलों में सावधानी के साथ जरूरी चेंज किए, ताकि उन्हें जमीन से हवा में दागा जा सके।