भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन के बाद लॉन्च हुआ रूस का लूना-25 (Luna-25) स्पेसक्राफ्ट बहुत तेजी से चांद के करीब पहुंच गया है। इस स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा की अपनी पहली तस्वीर भी खींच ली है। इमेज में चांद के साउथ पोलर क्रेटर ‘जीमन' (Zeeman) को दिखाया गया है। यह चांद का वो इलाका है, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। रूसी स्पेस एजेंसी
रोस्कोस्मॉस (Roscosmos) ने गुरुवार को एक टेलिग्राम पोस्ट में यह जानकारी शेयर की।
स्पेसडॉटकॉम के
अनुसार, चंद्रमा के सुदूर भाग को उसकी डार्क साइड भी कहा जाता है। समकालिक घूर्णन (synchronous rotation) के कारण यह इलाका स्थायी रूप से पृथ्वी से ओझल है। यही वजह है कि दुनिया भर की स्पेस एजेंसियों की दिलचस्पी इस इलाके में बढ़ गई है। भारत और रूस दुनिया के पहले देश बनने वाले हैं जो चांद के इस इलाके में अपना मिशन लैंड कराने की कोशिश करेंगे।
लूना-25 मिशन को इसी 10 अगस्त को लॉन्च किया गया। साल 1976 के बाद रूस ने पहली बार चांद पर अपना मिशन रवाना किया है। करीब 47 साल पहले जब लूना-24 मिशन ने उड़ान भरी थी, तब रूस भी सोवियत यूनियन का हिस्सा था।
बीते रविवार को लूना-25 ने स्पेस में अपनी पहली तस्वीरें लीं। इसके बैकग्राउंड में चंद्रमा और पृथ्वी दिखाई दे रहे थे। उसके बाद लूना-25 मिशन को एक और कामयाबी मिली, जब उसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया। फिलहाल यह चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा है, लेकिन बहुत ज्यादा दिनों तक इसमें नहीं रहने वाला। माना जा रहा है कि 21 अगस्त को लूना-25 स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा पर लैंडिंग की कोशिश कर सकता है।
खास यह है कि भारत का चंद्रयान-3 चांद पर 23 अगस्त को लैंड करने की कोशिश करेगा, जबकि वह रूसी मिशन से पहले उड़ान भर चुका था। वहीं, आज चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा के और करीब पहुंचने का प्रयास करेगा। गुरुवार को विक्रम लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था।