दूरसंचार विभाग (DoT) ने Jio, Airtel और Vodafone Idea (Vi) सहित टेलीकॉम ऑपरेटरों को तीन महीने तक रोजाना 8-10 बार साइबर क्राइम जागरूकता से जुड़ी कॉलर ट्यून चलाने के निर्देश दिए हैं। इंडियन साइबरक्राइम कोर्डिनेशन सेंटर (I4C) की इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में साइबर धोखाधड़ी में बढ़ोतरी पर रोकथाम करना है। मैसेज यूजर्स को "डिजिटल अरेस्ट" जैसे घोटालों के बारे में चेतावनी देते हैं, जहां धोखेबाज पैसे ठगने के लिए खुद को सरकारी अधिकारी बताते हैं। इन प्री-कॉल घोषणाओं या रिंगबैक टोन को हर हफ्ते बदला जाएगा। तुरंत लागू किया गया यह निर्देश, साइबर क्राइम के प्रति सतर्क रहने पर ध्यान देने के साथ जागरूकता बढ़ाने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए DoT के प्रयासों का हिस्सा है।
DoT ने देश में मौजूद सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को निर्देश दिए हैं कि वे अपने कॉलर्स को साइबर क्राइम से जागरूक करने के लिए रोजाना 8-10 बार एक स्पेशल कॉलर ट्यून चलाए। यह भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की पहल है। पिछले कुछ महीनों में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है, जिनमें से एक
बड़ा फ्रॉड डिजिटल अरेस्ट के रूप में हो रहा है। एजेंसी ने इसी को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम ऑपरेटर्स के लिए खास कॉलर ट्यून बनाई है, जिसे समय-समय पर अपडेट किया जाएगा।
इन प्री-कॉल अनाउंसमेंट या रिंगबैक टोन को हर हफ्ते अपडेट किया जाएगा। DoT ने रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को अगले तीन महीनों के लिए प्रति दिन 8-10 बार इन कॉलर ट्यून को चलाने के निर्देश दिए हैं। TOI के
मुताबिक, मैसेज “सावधान, अगर आपको अनजाने नंबर से पुलिस, जज या सीबीआई के कॉल आते हैं…” से शुरू होता है। DoT का कहना है कि तीन महीने तक यूजर्स को हर हफ्ते अलग कॉलर ट्यून सुनाई जाएगी।
हाल ही में एजेंसी ने बताया था कि इस तरह के घोटालों से निपटने के लिए, सरकार और टेलीकॉम ऑपरेटर्स उन अंतरराष्ट्रीय कॉलों की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए एक सिस्टम लागू कर रहे हैं, जो भारतीय नंबरों का रूप धारण करते हैं। सरकार ने हाल के समय में फ्रॉड वाले सिम कार्ड और डिवाइस को ब्लॉक करने के लिए कार्रवाई की है। 15 नवंबर तक, पुलिस द्वारा रिपोर्ट किए गए 6.69 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1.32 लाख IMEI (इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) को ब्लॉक कर दिया गया था।