सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने अपने विवादित प्रोजेक्ट फ्री बेसिक्स को भारत में बंद करने का फैसला किया है। कंपनी ने यह कदम भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के उस निर्देश के बाद उठाया है जिसमें कहा गया था कि कोई भी कंपनी विषय सामग्री के आधार पर भेदभावपूर्ण डेटा शुल्क (डिसक्रिमनेटरी प्राइसिंग) पेश नहीं कर सकती। ट्राई के इस कदम को नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में और फेसबुक की फ्री बेसिक्स तथा एयरटेल जीरो के विरोध में माना गया।
फेसबुक के प्रवक्ता ने गैजेट्स 360 को ईमेल के जरिए बयान में कहा, ''फ्री बेसिक्स अब भारत के लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।''
दरअसल, फेसबुक की 'फ्री बेसिक्स' योजना पर नेट न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है। कंपनी कहती रही है कि इस योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों के गरीब मोबाइल यूज़र को मुफ्त में इंटरनेट मुहैया कराने की है। फेसबुक की प्रस्तावित 'फ्री बेसिक्स' योजना में उपभोक्ता शिक्षा, हेल्थकेयर व रोजगार जैसी सेवाएं अपने मोबाइल फोन पर उस ऐप के जरिए नि:शुल्क (बिना किसी डेटा योजना के) हासिल कर सकते हैं जो कि इस प्लेटफॉर्म के लिए विशेष रूप से बनाया गया है।
आलोचकों ने कंपनी की इस पहल को नेट निरपेक्षता (नेट न्यूट्रैलिटी) के सिद्धांत का कथित उल्लंघन बताया था। आलोचकों का मानना है कि फेसबुक इस योजना का इस्तेमाल टॉर्जन हॉर्स की तरह इंटरनेट को नियंत्रित करने के लिए कर रही है।"
ट्राई के फैसले के बाद फेसबुक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट में इस घोषणा पर निराशा जताई। जुकरबर्ग ने अपने बयान में कहा है कि भारत में इंटरनेट संपर्क को बढ़ाने के बीच आने वाली अड़चनों को हटाने के लिए वह काम जारी रखेंगे।
भले ही इस सेवा को भारत में बंद कर दिया हो, लेकिन यह दुनिया के 30 देशों में जारी रहेगी।
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