पश्चिम बंगाल में एक स्टार्टअप ने ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो पानी से ऑक्सीजन पैदा करती है। इस तकनीक के संस्थापकों का दावा है कि सिर्फ एक बटन दबाने पर पानी से ऑक्सीजन निकलनी शुरू हो जाती है। 'ओएम रेडॉक्स' (OM Redox) नाम की यह डिवाइस सोलायर इनिशिएटिव्स प्राइवेट लिमिटेड ने डेवलप की है। डिवाइस को वेबेल-बीसीसी एंड आई टेक इनक्यूबेशन सेंटर में लगाया गया है, जहां यह पानी से शुद्ध ऑक्सीजन देती है। इस डिवाइस को बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा उसके 10वें स्थापना दिवस और पहले बायो-टेक एक्सपो 2022 में प्रदर्शित और लॉन्च करने के लिए चुना गया था।
स्टार्टअप वेंचर के को-फाउंडर डॉ. सौम्यजीत रॉय और उनकी पत्नी डॉ. पेई लियांग ने गुरुवार को दावा किया कि यह मशीन और कुछ नहीं बल्कि एक गहन साइंस इनोवेशन है, जो ऑक्सीजन पैदा करता है। यह किसी कंसन्ट्रेटर से मिलने वाली ऑक्सीजन से 3.5 गुना ज्यादा शुद्ध होती है।
कोलकाता में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में प्रोफेसर डॉ. रॉय का कहना है कि उनके इनोवेशन को न्यूमेटिकली कपल्ड वॉटर ऑक्सीडेशन कहा जाता है। इसमें पानी से ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यह डिवाइस उन प्रोडक्ट्स में से भी एक थी जिसे केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आजादी के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में जारी एक पुस्तक में फीचर किया था।
डॉ. रॉय ने दावा किया कि इस तकनीक का पेटेंट कराया गया है और यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से भी अप्रूव्ड है। डॉ. रॉय और उनकी पत्नी इस डिवाइस के लाइसेंस, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग के लिए विभिन्न ऑर्गनाइजेशन के साथ चर्चा कर रहे हैं।
डॉ. पेई लियांग ने बताया कि यह डिवाइस एक सफेद पाइनवुड बॉक्स जैसी है, जिसका वजन 8 किलोग्राम है। सिर्फ एक स्विच दबाने पर यह पानी से ऑक्सीजन पैदा करने लगती है। यह बिजली से चलती है साथ ही 3.5 घंटे का बैटरी बैकअप भी दे सकती है। पश्चिम बंगाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग विकास निगम लिमिटेड (वेबेल) और बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. लियांग ने कहा कि डिवाइस को आसान बनाने के साथ ही बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकता है।
वेबेल की मैनेजिंग डायरेक्टर सुनरिता हाजरा ने कहा कि हम ऑक्सीजन पैदा करनी वाली डिवाइस की मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। हम इस टेक्नॉलजी के बारे में सकारात्मक हैं। डिवाइस को कोई भी ऑपरेट कर सकता है। स्टार्टअप ने जो प्रगति की है, उसे देखते हुए अगले तीन महीनों में डिवाइस के व्यावसायीकरण की उम्मीद है।